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Jivatma jagat ke niyam (The laws of the spirit world)

By: Material type: TextTextPublication details: Ahemdabad Jaico 2021Description: 343 pISBN:
  • 9788184952582
Subject(s): DDC classification:
  • H 133.91092 BHA
Summary: खो रशेद और रूमी भावनगरी भारत में मुम्बई के भायखला में अपने दोनों बेटों, विस्पी और रतू के साथ रहते थे, जिनका जन्म क्रमश: ९ अगस्त १९५० और १३ दिसंबर १९५१ को हुआ था। बड़े होने पर, मोटरिंग के विभिन्न पहलुओं में दोनों लड़कों की गहरी रुचि जागी। अंततः, विस्पी और रतू ने गाड़ियों की मरम्मत करने वाले एक गराज की स्थापना की। उन्होंने कई मोटर रैलियों में भी भाग लिया। १९८० के निर्णायक साल में, विस्पी और रतू ने एक १६३२ मील लंबी क्रॉस कंट्री मोटर रैली में भाग लिया। रैली २३ फरवरी को शुरू होनी थी, और विस्पी और रतू ने इससे पहले अपनी गाड़ी को मुम्बई से खोपोली तक जांचने का फैसला किया। यात्रा आरंभ करने से ठीक पहले अपने दोनों बेटों के साथ घटित घटना के बारे में खोरशेदजी कहती हैं, "मुझसे कसकर लिपटकर रतू ने गुड बाय कहा और बाहर निकल गया। वह कुछ ही सीढ़ियां नीचे उतरा होगा (हम दूसरी मंजिल पर रहते थे) कि भागता हुआ दुबारा मेरे पास लौटा। दुबारा मुझसे कसकर लिपटकर उसने मुझे चूमा। मैं समझ नहीं पाई। मुझे अजीब लगा, क्योंकि स्तू का ऐसा करना बड़ी असमान्य बात थी। एक मंजिल नीचे उतरने के बाद वह एक बार फिर भागता हुआ वापस आया और मुझसे कसकर लिपटकर मुझे चूमा। तबतक विस्पी भी मुझसे विदा लेने आ चुका था। मैंने उन्हें संभलकर गाड़ी चलाने की हिदायत दी। उन्होंने मुझसे कहा, 'हमारी प्रतीक्षा मत करना मां, हम खोपोली तक जाकर लौट आएंगे, या फिर रातभर रुककर सुबह वापस लौटेंगे।"
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Item type Current library Call number Status Date due Barcode Item holds
Books Books Gandhi Smriti Library H 133.91092 BHA (Browse shelf(Opens below)) Checked out to Narmada Hostel OT Launge (NARMADA) 2023-09-29 168226
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खो रशेद और रूमी भावनगरी भारत में मुम्बई के भायखला में अपने दोनों बेटों, विस्पी और रतू के साथ रहते थे, जिनका जन्म क्रमश: ९ अगस्त १९५० और १३ दिसंबर १९५१ को हुआ था। बड़े होने पर, मोटरिंग के विभिन्न पहलुओं में दोनों लड़कों की गहरी रुचि जागी। अंततः, विस्पी और रतू ने गाड़ियों की मरम्मत करने वाले एक गराज की स्थापना की। उन्होंने कई मोटर रैलियों में भी भाग लिया।

१९८० के निर्णायक साल में, विस्पी और रतू ने एक १६३२ मील लंबी क्रॉस कंट्री मोटर रैली में भाग लिया। रैली २३ फरवरी को शुरू होनी थी, और विस्पी और रतू ने इससे पहले अपनी गाड़ी को मुम्बई से खोपोली तक जांचने का फैसला किया। यात्रा आरंभ करने से ठीक पहले अपने दोनों बेटों के साथ घटित घटना के बारे में खोरशेदजी कहती हैं, "मुझसे कसकर लिपटकर रतू ने गुड बाय कहा और बाहर निकल गया। वह कुछ ही सीढ़ियां नीचे उतरा होगा (हम दूसरी मंजिल पर रहते थे) कि भागता हुआ दुबारा मेरे पास लौटा। दुबारा मुझसे कसकर लिपटकर उसने मुझे चूमा। मैं समझ नहीं पाई। मुझे अजीब लगा, क्योंकि स्तू का ऐसा करना बड़ी असमान्य बात थी। एक मंजिल नीचे उतरने के बाद वह एक बार फिर भागता हुआ वापस आया और मुझसे कसकर लिपटकर मुझे चूमा। तबतक विस्पी भी मुझसे विदा लेने आ चुका था। मैंने उन्हें संभलकर गाड़ी चलाने की हिदायत दी। उन्होंने मुझसे कहा, 'हमारी प्रतीक्षा मत करना मां, हम खोपोली तक जाकर लौट आएंगे, या फिर रातभर रुककर सुबह वापस लौटेंगे।"

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