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Bapu

By: Material type: TextTextPublication details: Delhi Setu 2020Description: 149 p. (Vol.1); 158 p. (Vol.2); 152 p. (Vol.3); 158 p. (Vol.4); 156 p. (Vol.5); 160 p. (Vol.6); 160 p. (Vol.7)ISBN:
  • 9789391277826
Subject(s): DDC classification:
  • GN 320.55 UPA
Summary: 'बापू' मोहनदास करमचंद गाँधी के 'महात्मा गाँधी' बनने की कहानी है। इस प्रक्रिया में यह गाँधी से इतर किसी आम व्यक्ति की भी कहानी हो सकती है। 2 अक्टूबर, 1869 को जन्मे मोहनदास करमचंद गाँधी का लालन-पालन, शिक्षा-दीक्षा सामान्य बालक की तरह होता है, फिर भी गाँधी औरों से अलग खड़े दिखते हैं। इसका कारण है निर्णय लेने और उसपर टिके रहने की उनकी क्षमता। गलती करना, उससे सीखना और आगे बढ़ना ही गाँधी की निर्मिति की प्रक्रिया है। सामान्य व्यवहार का यही सत्व उन्हें भविष्य में प्रभावी निर्णय लेने में सहायता प्रदान करता है गाँधी से जुड़ी छोटी-छोटी घटनाओं एवं संबद्ध परिस्थितियों का उल्लेख इस पुस्तक में किया गया है, जो पुस्तक को कथात्मक प्रवाह प्रदान करते हैं। यह इतिहास या ऐतिहासिक धारावाहिक से ज्यादा कथात्मक धारावाहिक है। यहाँ तिथियाँ नहीं हैं, गाँधी के जीवन की कथा है। इसलिए यह ऐतिहासिक जीवनी से ज्यादा कथात्मक जीवनी है। भाषाई सहजता इन पुस्तकों की पठनीयता को बढ़ाती हैं। इस पुस्तक को लिखते समय लेखक के समक्ष केवल वयस्क पाठक नहीं हैं। वे इन पुस्तकों के माध्यम से किशोरों को भी संबोधित करते हैं। ऐसा करते हुए लेखक संभवतः गाँधी, उनके जीवन और विचारों को उनके माध्यम से किशोर और युवा भारत को नयी संभावनाओं की ओर ले जाने का स्वप्न देख रहा है। मधुकर जी की गहरी समझ, अध्यवसाय और परिश्रम का परिणाम है यह जीवनी ।
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Porbandar se London (Vol.1); Dakshin Africa ke din (Vol.2); Pahla pravasi (Vol.3); Neel ke nishan (Vol.4); Daandi kooch (Vol.5); Bharat chhoro(Vol.6); Neeyati se milan (Vol.7)

'बापू' मोहनदास करमचंद गाँधी के 'महात्मा गाँधी' बनने की कहानी है। इस प्रक्रिया में यह गाँधी से इतर किसी आम व्यक्ति की भी कहानी हो सकती है।

2 अक्टूबर, 1869 को जन्मे मोहनदास करमचंद गाँधी का लालन-पालन, शिक्षा-दीक्षा सामान्य बालक की तरह होता है, फिर भी गाँधी औरों से अलग खड़े दिखते हैं। इसका कारण है निर्णय लेने और उसपर टिके रहने की उनकी क्षमता। गलती करना, उससे सीखना और आगे बढ़ना ही गाँधी की निर्मिति की प्रक्रिया है। सामान्य व्यवहार का यही सत्व उन्हें भविष्य में प्रभावी निर्णय लेने में सहायता प्रदान करता है
गाँधी से जुड़ी छोटी-छोटी घटनाओं एवं संबद्ध परिस्थितियों का उल्लेख इस पुस्तक में किया गया है, जो पुस्तक को कथात्मक प्रवाह प्रदान करते हैं। यह इतिहास या ऐतिहासिक धारावाहिक से ज्यादा कथात्मक धारावाहिक है। यहाँ तिथियाँ नहीं हैं, गाँधी के जीवन की कथा है। इसलिए यह ऐतिहासिक जीवनी से ज्यादा कथात्मक जीवनी है। भाषाई सहजता इन पुस्तकों की पठनीयता को बढ़ाती हैं। इस पुस्तक को लिखते समय लेखक के
समक्ष केवल वयस्क पाठक नहीं हैं। वे इन पुस्तकों के माध्यम से किशोरों को भी संबोधित करते हैं। ऐसा करते हुए लेखक संभवतः गाँधी, उनके जीवन और विचारों को उनके माध्यम से किशोर और युवा भारत को नयी संभावनाओं की ओर ले जाने का स्वप्न देख रहा है। मधुकर जी की गहरी समझ, अध्यवसाय और परिश्रम का परिणाम है यह जीवनी ।

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