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Lauhapurusha Saradāra Paṭela ke preraka prasaṅga

By: Material type: TextTextPublication details: Delhi S. K. enterprisesDescription: 214 pISBN:
  • 9789388131001
Subject(s): DDC classification:
  • SVP 954.035092 SAI
Summary: देश को स्वतंत्र कराने के लिए अनेक नेताओं ने अपने प्राणों की आहुति दी। अंग्रेजों के अत्याचारों का डटकर सामना किया। अपनी निर्भीकता से देश के वीर सपूतों एवं वीरांगनाओं ने अंग्रेजों की मनमानियों को रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। सरदार वल्लभभाई पटेल भी उनमें से एक हैं। उन्हें उनकी निर्भीकता, कठिनाइयों का डटकर सामना करने, कार्य के प्रति लगन एवं व्यवहारकुशलता के कारण ‘लौहपुरुष’ का सम्मान दिया गया। सरदार पटेल ने अपना सर्वस्व देश को समर्पित कर दिया, यहाँ तक कि उनका व्यक्तिगत जीवन भी देश के सामने कुछ नहीं रहा। उन्होंने जन्म लिया ही था देश के लिए कुछ कर गुजरने के लिए। देश के छोटे-छोटे राज्यों का एकीकरण उन्हीं के द्वारा किया गया। वे अपनी वाक्पटुता से बचपन से ही विरोधियों को पराजित करते रहे और अपने मार्ग पर बढ़ते रहे। उनका जीवन बेहद संघर्षमय रहा। यदि यह कहा जाए कि वे अपने जीवन में तलवार की धार पर चलते रहे, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। उन्होंने अपनी सूझ-बूझ से राज-रजवाड़ों में बँटे देश को अखंड बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस पुस्तक में उनके जीवन की कुछ घटनाओं को यहाँ कथाओं के रूप में समेटने का एक विनम्र प्रयास किया गया है। इन कथाओं के माध्यम से पाठकों को लौहपुरुष सरदार पटेल के तपस्वी, त्यागपूर्ण, कर्तव्यनिष्ठ व अपार देशभक्ति की झलक मिलेगी।
List(s) this item appears in: Sardar Vallabhbhai Patel Collection
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Books Books Gandhi Smriti Library SVP 954.035092 SAI (Browse shelf(Opens below)) Available 168149
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देश को स्वतंत्र कराने के लिए अनेक नेताओं ने अपने प्राणों की आहुति दी। अंग्रेजों के अत्याचारों का डटकर सामना किया। अपनी निर्भीकता से देश के वीर सपूतों एवं वीरांगनाओं ने अंग्रेजों की मनमानियों को रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। सरदार वल्लभभाई पटेल भी उनमें से एक हैं। उन्हें उनकी निर्भीकता, कठिनाइयों का डटकर सामना करने, कार्य के प्रति लगन एवं व्यवहारकुशलता के कारण ‘लौहपुरुष’ का सम्मान दिया गया। सरदार पटेल ने अपना सर्वस्व देश को समर्पित कर दिया, यहाँ तक कि उनका व्यक्तिगत जीवन भी देश के सामने कुछ नहीं रहा। उन्होंने जन्म लिया ही था देश के लिए कुछ कर गुजरने के लिए। देश के छोटे-छोटे राज्यों का एकीकरण उन्हीं के द्वारा किया गया। वे अपनी वाक्पटुता से बचपन से ही विरोधियों को पराजित करते रहे और अपने मार्ग पर बढ़ते रहे। उनका जीवन बेहद संघर्षमय रहा। यदि यह कहा जाए कि वे अपने जीवन में तलवार की धार पर चलते रहे, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। उन्होंने अपनी सूझ-बूझ से राज-रजवाड़ों में बँटे देश को अखंड बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस पुस्तक में उनके जीवन की कुछ घटनाओं को यहाँ कथाओं के रूप में समेटने का एक विनम्र प्रयास किया गया है। इन कथाओं के माध्यम से पाठकों को लौहपुरुष सरदार पटेल के तपस्वी, त्यागपूर्ण, कर्तव्यनिष्ठ व अपार देशभक्ति की झलक मिलेगी।

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