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Bharat ki Pramukh Janjatiya evam vikashkram

By: Material type: TextTextPublication details: Jaipur Paradise 2021Description: 246 pISBN:
  • 9789388514101
Subject(s): DDC classification:
  • H 307.7 MEE
Summary: भारत में लगभग 500 आदिवासी समूह विभिन्न प्रान्तों में निवास करते हैं। इनकी संख्या किसी प्रान्त में अधिक, बहुत अधिक तो कहाँ पर कम, बहुत कम है। कुछ प्रान्तों में तो आदिवासी दृष्टिगोचर ही नहीं होते हैं। इन आदिवासी समूहों में भी प्रान्त समूह है। जनसंख्या की दृष्टि से हमारे देश में इनका तीसरा स्थान है। मध्यभारत में यह जनजाति मध्यप्रदेश एवं राजस्थान में बसी हुई है। राजस्थान के दक्षिणायल अर्थात् मेवाड़ प्रदेश में भीलों का बाहुल्य है। भारतीय संविधान की पाँचवीं अनुसूचित के अन्तर्गत जनजातियों की स्थिति सुधारने के लिये राजस्थान सरकार ने समय समय पर विभिन्न कार्यक्रम प्रारम्भ किये हैं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य भूमि नियमों में सुधार, जनजातियों में व्याप्त ऋणग्रस्तता को समाप्त करना, बंधुवा मजदूरी का उन्मूलन तथा मद्यनिषेध आदि थे।
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Books Books Gandhi Smriti Library H 307.7 MEE (Browse shelf(Opens below)) Checked out to Ganga Hostel OT Launge (GANGA) 2023-09-29 168196
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भारत में लगभग 500 आदिवासी समूह विभिन्न प्रान्तों में निवास करते हैं। इनकी संख्या किसी प्रान्त में अधिक, बहुत अधिक तो कहाँ पर कम, बहुत कम है। कुछ प्रान्तों में तो आदिवासी दृष्टिगोचर ही नहीं होते हैं। इन आदिवासी समूहों में भी प्रान्त समूह है। जनसंख्या की दृष्टि से हमारे देश में इनका तीसरा स्थान है। मध्यभारत में यह जनजाति मध्यप्रदेश एवं राजस्थान में बसी हुई है। राजस्थान के दक्षिणायल अर्थात् मेवाड़ प्रदेश में भीलों का बाहुल्य है।

भारतीय संविधान की पाँचवीं अनुसूचित के अन्तर्गत जनजातियों की स्थिति सुधारने के लिये राजस्थान सरकार ने समय समय पर विभिन्न कार्यक्रम प्रारम्भ किये हैं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य भूमि नियमों में सुधार, जनजातियों में व्याप्त ऋणग्रस्तता को समाप्त करना, बंधुवा मजदूरी का उन्मूलन तथा मद्यनिषेध आदि थे।

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