Amazon cover image
Image from Amazon.com
Image from Google Jackets

Bhāratīya loka saṃskr̥ti aura purātattva: Indian folk culture and archaeology (Vol.1)

By: Material type: TextTextPublication details: Delhi B.R. Publishing 2016Description: 309 p. (Vol.1) 611 p. (Vol.2)ISBN:
  • 9789350502952
Subject(s): DDC classification:
  • H 398.0954 BHA
Summary: भारत विश्व के उन विशाल राष्ट्रों में से एक है, जहाँ का इतिहास विभिन्न संस्कृतियों के समन्वय और संघर्ष की झाँकी प्रस्तुत करता है। इसमें भारतीय लोक संस्कृति इतिहास का ही अभिन्न गौरव-गाथा है। वस्तुतः भारतीय लोक कला, और लोक संस्कृति जितनी समृद्ध है उतनी किसी अन्य देश में नहीं है। कारण कि समाज का मेरुदण्ड लोक परम्पराऐं और त्यौहार है। पुरातात्विक संग्रहालयों एवं प्राचीन धरोहरों से हम संस्कृति के मूल तत्व को समझ सकते हैं अवशेष के रूप में प्राप्त इन पुरासामग्रियों के अवलोकन से तत्कालीन भारतीय समाज की जीवंत सांस्कृतिक झलक प्राप्त होती है। जिसका अध्ययन प्रस्तुत ग्रन्थ में किया गया है। भारतीय लोक सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक संदर्भों को पुनः जीवित करने का कार्य सुधीजन विद्वानों से ही संभव हो सकता है। प्रस्तुत ग्रन्थ इसकी प्रतिपूर्ति करता दिखाई देता है। अतः प्रस्तुत ग्रन्थ शोधार्थियों एवं जिज्ञासु सामान्य पाठक सभी के लिए सामान रूप से उपयोगी है।
Tags from this library: No tags from this library for this title. Log in to add tags.
Star ratings
    Average rating: 0.0 (0 votes)

भारत विश्व के उन विशाल राष्ट्रों में से एक है, जहाँ का इतिहास विभिन्न संस्कृतियों के समन्वय और संघर्ष की झाँकी प्रस्तुत करता है। इसमें भारतीय लोक संस्कृति इतिहास का ही अभिन्न गौरव-गाथा है। वस्तुतः भारतीय लोक कला, और लोक संस्कृति जितनी समृद्ध है उतनी किसी अन्य देश में नहीं है। कारण कि समाज का मेरुदण्ड लोक परम्पराऐं और त्यौहार है। पुरातात्विक संग्रहालयों एवं प्राचीन धरोहरों से हम संस्कृति के मूल तत्व को समझ सकते हैं अवशेष के रूप में प्राप्त इन पुरासामग्रियों के अवलोकन से तत्कालीन भारतीय समाज की जीवंत सांस्कृतिक झलक प्राप्त होती है। जिसका अध्ययन प्रस्तुत ग्रन्थ में किया गया है।
भारतीय लोक सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक संदर्भों को पुनः जीवित करने का कार्य सुधीजन विद्वानों से ही संभव हो सकता है। प्रस्तुत ग्रन्थ इसकी प्रतिपूर्ति करता दिखाई देता है। अतः प्रस्तुत ग्रन्थ शोधार्थियों एवं जिज्ञासु सामान्य पाठक सभी के लिए सामान रूप से उपयोगी है।

There are no comments on this title.

to post a comment.

Powered by Koha