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Setu samagra: kavita

By: Material type: TextTextPublication details: Delhi Setu 2019Description: 543 pISBN:
  • 9788194047087
Subject(s): DDC classification:
  • H 891.431 KHA
Summary: विष्णु खरे हिंदी के विलक्षण कवि हैं कई अर्थों में। भाषा और कॉन्टेंट दोनों स्तरों पर उन्होंने हिंदी कविता को समृद्ध किया, कविता तब तक जैसी थी, उससे आगे बढ़ी। इस विस्तार के प्रति समझ रखने के कारण ही रघुवीर सहाय जैसे वरिष्ठ कवि विष्णु खरे को अपनी पीढ़ी का श्रेष्ठ कवि मानते थे। इनकी कविताओं को एक साथ पढ़ना न केवल एक कवि की काव्य-यात्रा से गुजरना है, अपितु उस यात्रा के बहाने समय, समाज, देशकाल की संवेदनात्मक समझ अर्जित करना है, जिसमें विष्णु खरे भी और एक पाठक के रूप में हम भी रह रहे हैं। इसका प्रमाण इनकी कविताओं में आया विवरण हैं। कविताओं में जो विवरणों की भरमार है, वह मात्र रचनात्मक टूल नहीं है। विवरणों के कारण ही स्थितियों के प्रति वर्णित विषय के प्रति पाठकों में विश्वसनीयता जगती है। इन विवरणों से इनकी बहुआयामी समझ, ज्ञान का भी परिचय मिलता है। परंतु ये विवरण कभी भी और कहीं भी एकांगी नहीं हैं। ये विवरण सूचना से आगे बढ़कर कविता की संवेदनात्मक संरचना का हिस्सा बन जाते हैं। भावावेश के बिना मध्यवर्ग की समस्याओं, स्थितियों, विषयों को विष्णु खरे कविता में रूपांतरित करते हैं। मध्यवर्गीय स्थितियों के विवरण के बीच से जो कविता निर्मित होती है, वह भाषिक विधान में तो लगभग अभिधा होती है, परंतु उसके प्रभाव का विस्तार दूर तक जाता है। इससे कविता की संवेदनात्मक संरचना में गंभीर विस्तार होता है। इन कविताओं से एक साथ गुजरते हुए पाठक विष्णु जी की संवेदनात्मक संरचना से भी परिचित होता है, साथ ही समाज के प्रति उनके दृष्टिकोण से भी। उनका यह दृष्टिकोण कविता में विषय के साथ ट्रीटमेंट के कई स्तरों को एक साथ उद्घाटित करता है। विषय चयन, भाषिक प्रयोग, शब्द चयन में इसका प्रभाव दिखायी देता है। व्यंग्य, विद्रूप, विडंबना ये जगह-जगह अपनी कविता में टूल की तरह इस्तेमाल करते हैं। इस संग्रह की भूमिका मंगलेश डबराल ने लिखी है। वह भी इस संपूर्ण संग्रह को समझने की दृष्टि से उपयोगी बन पड़ा है।
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विष्णु खरे हिंदी के विलक्षण कवि हैं कई अर्थों में। भाषा और कॉन्टेंट दोनों स्तरों पर उन्होंने हिंदी कविता को समृद्ध किया, कविता तब तक जैसी थी, उससे आगे बढ़ी। इस विस्तार के प्रति समझ रखने के कारण ही रघुवीर सहाय जैसे वरिष्ठ कवि विष्णु खरे को अपनी पीढ़ी का श्रेष्ठ कवि मानते थे।
इनकी कविताओं को एक साथ पढ़ना न केवल एक कवि की काव्य-यात्रा से गुजरना है, अपितु उस यात्रा के बहाने समय, समाज, देशकाल की संवेदनात्मक समझ अर्जित करना है, जिसमें विष्णु खरे भी और एक पाठक के रूप में हम भी रह रहे हैं। इसका प्रमाण इनकी कविताओं में आया विवरण हैं। कविताओं में जो विवरणों की भरमार है, वह मात्र रचनात्मक टूल नहीं है। विवरणों के कारण ही स्थितियों के प्रति वर्णित विषय के प्रति पाठकों में विश्वसनीयता जगती है। इन विवरणों से इनकी बहुआयामी समझ, ज्ञान का भी परिचय मिलता है। परंतु ये विवरण कभी भी और कहीं भी एकांगी नहीं हैं। ये विवरण सूचना से आगे बढ़कर कविता की संवेदनात्मक संरचना का हिस्सा बन जाते हैं।
भावावेश के बिना मध्यवर्ग की समस्याओं, स्थितियों, विषयों को विष्णु खरे कविता में रूपांतरित करते हैं। मध्यवर्गीय स्थितियों के विवरण के बीच से जो कविता निर्मित होती है, वह भाषिक विधान में तो लगभग अभिधा होती है, परंतु उसके प्रभाव का विस्तार दूर तक जाता है। इससे कविता की संवेदनात्मक संरचना में गंभीर विस्तार होता है।

इन कविताओं से एक साथ गुजरते हुए पाठक विष्णु जी की संवेदनात्मक संरचना से भी परिचित होता है, साथ ही समाज के प्रति उनके दृष्टिकोण से भी। उनका यह दृष्टिकोण कविता में विषय के साथ ट्रीटमेंट के कई स्तरों को एक साथ उद्घाटित करता है। विषय चयन, भाषिक प्रयोग, शब्द चयन में इसका प्रभाव दिखायी देता है। व्यंग्य, विद्रूप, विडंबना ये जगह-जगह अपनी कविता में टूल की तरह इस्तेमाल करते हैं।
इस संग्रह की भूमिका मंगलेश डबराल ने लिखी है। वह भी इस संपूर्ण संग्रह को समझने की दृष्टि से उपयोगी बन पड़ा है।

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