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Fidel Castro

By: Material type: TextTextPublication details: Delhi Rajkamal 2020Description: 411ISBN:
  • 9788126726899.
Subject(s): DDC classification:
  • H 972 SIN
Summary: क्यूबा की क्रान्ति का पैरा-दर-पैरा इतिहास बतानेवाली इस पुस्तक के केन्द्र में फ़िदेल कास्त्रो का जीवन है। वही फ़िदेल कास्त्रो जो आज पूरी दुनिया में साम्राज्यवाद-विरोध का प्रतीक बन चुके हैं। मात्र पच्चीस वर्ष की आयु में मुट्ठी-भर साथियों को लेकर और बिना किसी बाहरी मदद के फ़िदेल कास्त्रो ने क्यूबा के तानाशाह बतिस्ता और उसके पोषक अमेरिकी साम्राज्यवाद को सदा-सदा के लिए क्यूबा से विदा कर दिया था। क्यूबा के शोषित-पीड़ित किसानों, मज़दूरों को क्रान्तिकारी योद्धाओं में बदलने वाले और अपने देश को सामाजिक न्याय के सिद्धान्तों पर एक बेहतर राष्ट्र के रूप में विकसित करनेवाले फ़िदेल कास्त्रो ने अन्तरराष्ट्रीयता की नई परिभाषाएँ गढ़ीं और समूची दुनिया को हर तरह की विषमता से मुक्त करने का एक बड़ा सपना देखा। आज इस सपने को विश्व का हर वह इनसान अपने दिल के क़रीब महसूस करता है जो इस दुनिया को मनुष्य के भविष्य के लिए एक सुरक्षित आवास में बदलना चाहता है। लेखक के व्यापक शोध और गहरी प्रतिबद्धता से उपजी यह पुस्तक न सिर्फ़ फ़िदेल के जीवन, बल्कि क्यूबा तथा शेष विश्व की उन राजनीतिक-आर्थिक परिस्थितियों का भी तथ्याधारित विवरण देती है जिसके बीच फ़िदेल का उद्भव हुआ और क्यूबा-क्रान्ति सम्भव हुई। साथ ही इसमें क्रान्ति की प्रेरक उस विचार-निधि को भी पर्याप्त स्थान दिया गया है जिसके कारण फ़िदेल का सपना, पहले क्यूबा और फिर दुनिया के हर न्यायप्रिय व्यक्ति का संकल्प बना। इस पुस्तक में हमें फ़िदेल के सबसे भरोसेमन्द साथी चे गुएवारा को भी काफ़ी नज़दीक से जानने का मौक़ा मिलता है जिनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य दुनिया में जहाँ भी साम्राज्यवाद है, उसके विरुद्ध संघर्ष करना था, और अल्प आयु में ही जीवन बलिदान करने के बावजूद जो आज हर जागरूक युवा हृदय में जीवित हैं।
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Books Books Gandhi Smriti Library H 972 SIN (Browse shelf(Opens below)) Available 167964
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क्यूबा की क्रान्ति का पैरा-दर-पैरा इतिहास बतानेवाली इस पुस्तक के केन्द्र में फ़िदेल कास्त्रो का जीवन है। वही फ़िदेल कास्त्रो जो आज पूरी दुनिया में साम्राज्यवाद-विरोध का प्रतीक बन चुके हैं।
मात्र पच्चीस वर्ष की आयु में मुट्ठी-भर साथियों को लेकर और बिना किसी बाहरी मदद के फ़िदेल कास्त्रो ने क्यूबा के तानाशाह बतिस्ता और उसके पोषक अमेरिकी साम्राज्यवाद को सदा-सदा के लिए क्यूबा से विदा कर दिया था। क्यूबा के शोषित-पीड़ित किसानों, मज़दूरों को क्रान्तिकारी योद्धाओं में बदलने वाले और अपने देश को सामाजिक न्याय के सिद्धान्तों पर एक बेहतर राष्ट्र के रूप में विकसित करनेवाले फ़िदेल कास्त्रो ने अन्तरराष्ट्रीयता की नई परिभाषाएँ गढ़ीं और समूची दुनिया को हर तरह की विषमता से मुक्त करने का एक बड़ा सपना देखा। आज इस सपने को विश्व का हर वह इनसान अपने दिल के क़रीब महसूस करता है जो इस दुनिया को मनुष्य के भविष्य के लिए एक सुरक्षित आवास में बदलना चाहता है।

लेखक के व्यापक शोध और गहरी प्रतिबद्धता से उपजी यह पुस्तक न सिर्फ़ फ़िदेल के जीवन, बल्कि क्यूबा तथा शेष विश्व की उन राजनीतिक-आर्थिक परिस्थितियों का भी तथ्याधारित विवरण देती है जिसके बीच फ़िदेल का उद्भव हुआ और क्यूबा-क्रान्ति सम्भव हुई। साथ ही इसमें क्रान्ति की प्रेरक उस विचार-निधि को भी पर्याप्त स्थान दिया गया है जिसके कारण फ़िदेल का सपना, पहले क्यूबा और फिर दुनिया के हर न्यायप्रिय व्यक्ति का संकल्प बना।
इस पुस्तक में हमें फ़िदेल के सबसे भरोसेमन्द साथी चे गुएवारा को भी काफ़ी नज़दीक से जानने का मौक़ा मिलता है जिनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य दुनिया में जहाँ भी साम्राज्यवाद है, उसके विरुद्ध संघर्ष करना था, और अल्प आयु में ही जीवन बलिदान करने के बावजूद जो आज हर जागरूक युवा हृदय में जीवित हैं।

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