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Narendra Mohan ki lambi kavitaye : ek vimarsh

By: Material type: TextTextPublication details: Delhi Academic Publication 2021Edition: 1st edDescription: 134 pISBN:
  • 9789383931132
Subject(s): DDC classification:
  • H SIN G
Summary: लंबी कविता ने बीसवीं शताब्दी में केंद्रीय भूमिका निभायी है जो इक्कीसवीं सदी की इधर की परिस्थितियों में नए विन्यासों में ढल रही है और महत्वपूर्ण हो गयी है। नयी तरह की कसमसाहट, छटपटाहट और बेचैनी जो इन दिनों कवि महसूस कर रहे है उससे कविता में लंबी कविता में भी एक नए युग के समारंभ के संकेत मिल रहे है। वह आधुनिकता और उत्तर आधुनिकता के चौखटों को तोड़कर बाहर आयी है नये संदर्भ में पैदा हुए विचारों को आत्मसात करने के लिए नये समय की चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए। इस से वह जिसके लिए नए प्रयोगों, विन्यासों और मॉडलो को अर्जित करने के लिए तत्पर दिखती है। इस परिप्रेक्ष्य में नरेन्द्र मोहन की लंबी कविताओं को खास तौर पर देखा जा सकता है। नरेन्द्र मोहन के साहित्य पर डॉ गुरचरण सिंह ने महत्वपूर्ण कार्य किया है। उन के सृजन के लगभग हर पक्ष- कविता, नाटक, आलोचना, आत्मकथा जीवनी आदि डॉ गुरुचरण सिंह की आलोचनात्मक दृष्टि, विश्लेषण और मूल्यांकन की धुरी रहे हैं उन की आलोचना दृष्टि मे गहराई और व्यपकता है। कृति के पाठ से लेकर कृति के परे वे कुछ इस तरह आंकने लगते है कि रचना कई रूपों मे आलोकित हो जाती है। कवि की सभी लंबी कविताओं पर उन की व्यावहारिक आलोचना की पुस्तक हैं। व्यावहारिक विश्लेषण करते हुए उन्होंने लंबी कविताओं में व्याप्त नाटकीयता और दीर्घकालिक तनाव के साथ-साथ उन की भाषिक संरचना और मॉडलों की तरफ भी महत्वपूर्ण संकेत किए हैं। एक अग्निकांड जमहें बदलता, एक मदद सपने के लिए खरगोश चित्र, और नीला घोड़ा, प्रिय बहिना, शर्मिला - इरोम जैसी लंबी कविताओ मे उन की दृष्टि की विशिष्टता देखी जा सकती है। हमारे समय के कवियों, आलोचकों और शोधार्थियों के लिए एक ज़रूरी पुस्तक ।
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लंबी कविता ने बीसवीं शताब्दी में केंद्रीय भूमिका निभायी है जो इक्कीसवीं सदी की इधर की परिस्थितियों में नए विन्यासों में ढल रही है और महत्वपूर्ण हो गयी है। नयी तरह की कसमसाहट, छटपटाहट और बेचैनी जो इन दिनों कवि महसूस कर रहे है उससे कविता में लंबी कविता में भी एक नए युग के समारंभ के संकेत मिल रहे है। वह आधुनिकता और उत्तर आधुनिकता के चौखटों को तोड़कर बाहर आयी है नये संदर्भ में पैदा हुए विचारों को आत्मसात करने के लिए नये समय की चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए। इस से वह जिसके लिए नए प्रयोगों, विन्यासों और मॉडलो को अर्जित करने के लिए तत्पर दिखती है। इस परिप्रेक्ष्य में नरेन्द्र मोहन की लंबी कविताओं को खास तौर पर देखा जा सकता है।

नरेन्द्र मोहन के साहित्य पर डॉ गुरचरण सिंह ने महत्वपूर्ण कार्य किया है। उन के सृजन के लगभग हर पक्ष- कविता, नाटक, आलोचना, आत्मकथा जीवनी आदि डॉ गुरुचरण सिंह की आलोचनात्मक दृष्टि, विश्लेषण और मूल्यांकन की धुरी रहे हैं उन की आलोचना दृष्टि मे गहराई और व्यपकता है। कृति के पाठ से लेकर कृति के परे वे कुछ इस तरह आंकने लगते है कि रचना कई रूपों मे आलोकित हो जाती है।

कवि की सभी लंबी कविताओं पर उन की व्यावहारिक आलोचना की पुस्तक हैं। व्यावहारिक विश्लेषण करते हुए उन्होंने लंबी कविताओं में व्याप्त नाटकीयता और दीर्घकालिक तनाव के साथ-साथ उन की भाषिक संरचना और मॉडलों की तरफ भी महत्वपूर्ण संकेत किए हैं। एक अग्निकांड जमहें बदलता, एक मदद सपने के लिए खरगोश चित्र, और नीला घोड़ा, प्रिय बहिना, शर्मिला - इरोम जैसी लंबी कविताओ मे उन की दृष्टि की विशिष्टता देखी जा सकती है।
हमारे समय के कवियों, आलोचकों और शोधार्थियों के लिए एक ज़रूरी पुस्तक ।

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