Gumshuda
Material type:
- 9788195166374
- H THA J
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H THA J (Browse shelf(Opens below)) | Available | 168062 |
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H THA H Patalipurta Ka Sanyasi | H THA J Chauraah | H THA J Chauraah | H THA J Gumshuda | H THA P Rani roopmati ki aatmakatha | H THA P Rani Roopmati Ki Aatmkatha | H THA R Gora / translated by Sachidanad Vatsyayan |
इधर की कहानियों में परंपरापूरक यथार्थवादी विवरणों की विपुलता है...जिसने कहानी को पान की दुकान में बदल दिया है और संपादक और आलोचक के लिए “हमारा पान लगाना भाई' की तर्ज पर गिलौरियाँ तैयार की जा रही हैं। ऐसे बाजारू माहौल में जरूरी हो गया है कि उन कहानियों को पढ़ा और रेखांकित किया जाए जो भारतीय कहानी की बहुआयामी रचनात्मकता के संदर्भ में हिंदी की बदलती कहानी की पहचान स्थापित करें। जितेन के पास आज की भयानक दुनिया है और उस भयानकता को तोड़ने के लिए सोच की पैनी कलम। इन कहानियों में यथार्थवाद नहीं, केवल यथार्थ है इसलिए ये कहानियाँ एक बदली हुई रचनाशीलता का गहरा एहसास भी देती हैं। जितेन ने अपनी कहानियों में हमेशा समय की चिताओं और अंतःकरण के सवालों को रचनात्मक अभिव्यक्ति दी है। समय की बेचेनियाँ इसी तरह साहित्य में लिपिबद्ध होकर धरोहर के रूप में सुरक्षित बनी रहती हैं। ये कहानियाँ लेखक की कहानियाँ न होकर अपने समय को विश्लेषित करने वाले मित्र रचनाकार की कहानियाँ हैं। इसीलिए जितेन की कहानियों को एक साथ पढ़ना एक बडे अनुभव संसार से गुजरना है।
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