Manav aadhikar evam kaanun vyavastha
Material type:
- 9789388514941
- H 323.0954 MEN
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 323.0954 MEN (Browse shelf(Opens below)) | Available | 168248 | ||
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H 323 MIS Gair sarkari sanghthan vikas evam manavadhikar | H 323.0710954 SHA Manavadhikar evam shiksa | H 323.0954 Manavadhikar aur kartavya | H 323.0954 MEN Manav aadhikar evam kaanun vyavastha | H 323.0954 MEN Manav aadhikar evam kaanun vyavastha | H 323.0954 PAN Bharat mein maanawadhikar | H 323.0954 SHA Manavadhikar or kartavya |
प्रकृति में सब जीव एक दूसरे पर निर्भर हैं। अपनी विभिन्न आवश्यकताओं के लिये इस निर्भरता के कारण ही संसार के सभी जीवों की प्रजातियों की संख्या में स्थिरता है। एक-दूसरे पर निर्भर होते हुए भी सभी अपने-अपने में पूर्ण रूप से स्वतंत्र हैं। स्वतंत्रता सभी का मूलभूत अधिकार है। मनुष्य भी अपने अस्तित्व को स्वतंत्र रखने के साथ ही साथ अपने व्यक्तित्व का पूर्ण रूप से विकास भी चाहता है। इसके लिये मनुष्य को कुछ ऐसी परिस्थितियों की आवश्यकता थी जिनके बिना ना तो उसका स्वतंत्र अस्तित्व रह सकता था और न ही वह पूर्ण विकास कर सकता था।
मानवाधिकार वे न्यूनतम अधिकार है, जो प्रत्येक व्यक्ति को आवश्यक रूप से प्राप्त होने चाहिए, क्योंकि वह मानव परिवार का सदस्य है। मानवाधिकारों की धारणा मानव गरिमा की धारणा से जुड़ी है। अतएव जो अधिकार मानव गरिमा को बनाये रखने के लिए आवश्यक हैं, उन्हें मानवाधिकार कहा जा सकता है। इस प्रकार मानवाधिकारों की धारणा आवश्यक रूप से न्यूनतम मानव आवश्यकताओं पर आधारित है। इनमें से कुछ शारीरिक जीवन तथा स्वास्थ्य के लिए है और अन्य मानसिक जीवन तथा स्वास्थ्य के लिए तात्विक हैं। यद्यपि मानवाधिकारों की संकल्पना उतनी ही पुरानी है, जितनी की प्राकृतिक विधि पर आधारित प्राकृतिक अधिकारों का प्राचीन सिद्धान्त तथापि 'मानवाधिकारों पदों की उत्पत्ति द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् अंतर्राष्ट्रीय चार्टरों और अभिसमयों से हुई।
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