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Anusuchit jaat evim janjaati ka aarthik vikash

By: Material type: TextTextPublication details: Delhi Academic publication 2021Description: 209 pISBN:
  • 9789383931750
Subject(s): DDC classification:
  • H 305.56 MES
Summary: भारत एक कल्याणकारी राष्ट्र हैं जो कि सामान्य रूप से नागरिकों और विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्गों के कल्याण के प्रति वचनबद्ध हैं। कल्याण का अर्थ दानपुण्य से नहीं हैं। आरंभ में कल्याणकर्ताओं का उद्देश्य कुछ बुनियादी सेवाएं उपलब्ध कराना था अनुसूचितजाति / जनजाति के विकास हेतु केन्द्र तथा राज्य सरकारें सजग रही और इन क्षेत्रो के विकास हेतु कुछ न कुछ योजनाएं बनायी जाती हैं। क्रियान्वयन भी हुआ है लेकिन क्या कारण हैं कि ये वर्ग विकास की मुख्य धारा से नहीं जूड़ पाया है। इन्हीं कारणों को जानने के प्रयास शोध प्रस्तुत किया गया है। प्रस्तुत पुस्तक राजनांदगांव जिले के अनुसूचितजाति बाहुल्य क्षेत्र एवं जनजाति बाहुल्य क्षेत्र के समुदाय के आर्थिक व सामाजिक व्यवहार / गतिविधियों पर आधारित है। यह पुस्तक उन सभी शोधार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी जो इस क्षेत्र में अनुसंधान करना चाह रहे हैं साथ ही इन समुदाय के लोगो में सामान्य चेतना जागरूक करने में पथ प्रदर्शक सिद्ध होगा।
List(s) this item appears in: Social sector | Welfare
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भारत एक कल्याणकारी राष्ट्र हैं जो कि सामान्य रूप से नागरिकों और विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्गों के कल्याण के प्रति वचनबद्ध हैं।

कल्याण का अर्थ दानपुण्य से नहीं हैं। आरंभ में कल्याणकर्ताओं का उद्देश्य कुछ बुनियादी सेवाएं उपलब्ध कराना था अनुसूचितजाति / जनजाति के विकास हेतु केन्द्र तथा राज्य सरकारें सजग रही और इन क्षेत्रो के विकास हेतु कुछ न कुछ योजनाएं बनायी जाती हैं। क्रियान्वयन भी हुआ है लेकिन क्या कारण हैं कि ये वर्ग विकास की मुख्य धारा से नहीं जूड़ पाया है। इन्हीं कारणों को जानने के प्रयास शोध प्रस्तुत किया गया है।

प्रस्तुत पुस्तक राजनांदगांव जिले के अनुसूचितजाति बाहुल्य क्षेत्र एवं जनजाति बाहुल्य क्षेत्र के समुदाय के आर्थिक व सामाजिक व्यवहार / गतिविधियों पर आधारित है। यह पुस्तक उन सभी शोधार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी जो इस क्षेत्र में अनुसंधान करना चाह रहे हैं साथ ही इन समुदाय के लोगो में सामान्य चेतना जागरूक करने में पथ प्रदर्शक सिद्ध होगा।

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