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Jati strie aur sahitya

By: Material type: TextTextPublication details: Delhi, Academic publication 2021Description: 230pISBN:
  • 9789391798475
DDC classification:
  • H 891.43 MEE
Summary: जाति , स्त्री और साहित्य विषय पर आधारित पुस्तक में संकलित लेख पाठकों को नई दृष्टि देते हैं । इस पुस्तक में दलित प्रश्नों के संदर्भ में जाति , स्त्री और साहित्य तीन बिंदुओं को केन्द्र में रख कर प्रस्तुत लेखों की रचना की गई हैं । इस उद्देश्य से प्रस्तुत पुस्तक भारतीय साहित्य की विशेष धारा अर्थात ' दलित साहित्य ' में नए विमर्शो की विवेचना कर साहित्य संपदा का संवर्धन करने का उपक्रम करने की विनम्र चेष्टा की गयी है । प्रस्तुत आलेख साहित्य की सीमा में सामान्य जनजीवन के बारे में उनके संघर्ष और उनकी अस्मिता से जुड़े प्रश्नों को भी बहुत संजीदगी से उठाते हैं । प्रत्येक आलेख पाठकों , शोधार्थियों और साहित्य में रूचि रखने वालों के लिए , अत्यंत उपयोगी और ज्ञान वर्धक हैं । इन आलेखों की भाषा में सहज प्रवाह और रवानगी है । विचारों का संप्रेषण तत्व बहुत ही यथार्थ और वस्तु - परक है । इनमें भारतीय समाज के बहुत बड़े तबके दलित और स्त्री की सामाजिक , शैक्षिक और आर्थिक स्थिति का दिग्दर्शन तो होता ही हैं , साथ ही साहित्य को लोकतांत्रिक नजर से देखने की , एक अलग दृष्टि भी इन आलेखों में मिलती है । इस तरह यह पुस्तक आज के विमर्श - युग में भारतीय साहित्य , सामाज दलित और स्त्रियों के लोकतांत्रिक मुद्दों को परत - दर परत खोलती - विश्लेषित करती है ।
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Books Books Gandhi Smriti Library H 891.43 MEE (Browse shelf(Opens below)) Available 168005
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जाति , स्त्री और साहित्य विषय पर आधारित पुस्तक में संकलित लेख पाठकों को नई दृष्टि देते हैं । इस पुस्तक में दलित प्रश्नों के संदर्भ में जाति , स्त्री और साहित्य तीन बिंदुओं को केन्द्र में रख कर प्रस्तुत लेखों की रचना की गई हैं । इस उद्देश्य से प्रस्तुत पुस्तक भारतीय साहित्य की विशेष धारा अर्थात ' दलित साहित्य ' में नए विमर्शो की विवेचना कर साहित्य संपदा का संवर्धन करने का उपक्रम करने की विनम्र चेष्टा की गयी है । प्रस्तुत आलेख साहित्य की सीमा में सामान्य जनजीवन के बारे में उनके संघर्ष और उनकी अस्मिता से जुड़े प्रश्नों को भी बहुत संजीदगी से उठाते हैं । प्रत्येक आलेख पाठकों , शोधार्थियों और साहित्य में रूचि रखने वालों के लिए , अत्यंत उपयोगी और ज्ञान वर्धक हैं । इन आलेखों की भाषा में सहज प्रवाह और रवानगी है । विचारों का संप्रेषण तत्व बहुत ही यथार्थ और वस्तु - परक है । इनमें भारतीय समाज के बहुत बड़े तबके दलित और स्त्री की सामाजिक , शैक्षिक और आर्थिक स्थिति का दिग्दर्शन तो होता ही हैं , साथ ही साहित्य को लोकतांत्रिक नजर से देखने की , एक अलग दृष्टि भी इन आलेखों में मिलती है । इस तरह यह पुस्तक आज के विमर्श - युग में भारतीय साहित्य , सामाज दलित और स्त्रियों के लोकतांत्रिक मुद्दों को परत - दर परत खोलती - विश्लेषित करती है ।

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