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Urban Naxals : Buddha in a traffic jam ke banane ki kahani

By: Material type: TextTextPublication details: Gurugram Garuda Prakashan 2021Description: 465ISBN:
  • 9781942426707
Subject(s): DDC classification:
  • H 791.436 AGN
Summary: "सफल बॉलीवुड निर्देशक विवेक अग्निहोत्री एक फिल्म बनाते हैं ""बुद्धा इन ए ट्रैफिक जैम""। एक ऐसी फिल्म जिसमें कोई पैसा नहीं लगाना चाहता; एक ऐसा निर्देशक जिसे ये फिल्म बनाने के लिए 'बॉलीवुड परिवार' से अलग कर दिया जाता है; उनके मित्र भी पीछे हट जाते हैं। एक ऐसी फिल्म जिसे बनाने विवेक अग्निहोत्री स्वयं अकेले ही चल पड़ते हैं--और धीरे-धीरे उनका साथ देने वाले भी मिल जाते हैं। किन्तु न सिर्फ फिल्म जगत में, बल्कि शिक्षण संस्थानों में स्थापित सत्ता भी नहीं चाहती थी कि ये फिल्म दर्शकों तक पहुँचे। जब इस फिल्म को सिनेमा के परदे पर आने की आशा समाप्त होती दिखी, तो विवेक अग्निहोत्री ने इस फिल्म को देश के कुछ बहुत ही प्रसिद्ध शिक्षण संस्थानों, तकनीकी संस्थानों में जा-जा कर प्रदर्शित करने का निर्णय लिया। ऐसा क्या था इस फिल्म में कि कई बार उन पर जानलेवा हमले हुए और फिल्म के प्रदर्शन को रोकने के लिए अनेक हथकंडे अपनाए गए? 'अर्बन नक्सल्स' कौन हैं? कहाँ रहते हैं, या यों कहें, कि कहाँ छुपे रहते हैं? क्या हम उन्हें पहचान पाएँगे? शिक्षण संस्थानों में कौन सी सत्ताएँ स्थापित हैं, जो इस देश की प्रगति को रोकने के लिए इस देश के युवाओं को देश के ही विरुद्ध दिग्भ्रमित करने में विश्वास रखतीं हैं? अर्बन नक्सल्स एक फिल्म के बनने से लेकर उसके प्रदर्शन को रोकने तक की पूरी यात्रा के दौरान हुई घटनाओं के जरिये 'अर्बन नक्सल्स' का रहस्योद्घाटन करती है। "
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"सफल बॉलीवुड निर्देशक विवेक अग्निहोत्री एक फिल्म बनाते हैं ""बुद्धा इन ए ट्रैफिक जैम""। एक ऐसी फिल्म जिसमें कोई पैसा नहीं लगाना चाहता; एक ऐसा निर्देशक जिसे ये फिल्म बनाने के लिए 'बॉलीवुड परिवार' से अलग कर दिया जाता है; उनके मित्र भी पीछे हट जाते हैं। एक ऐसी फिल्म जिसे बनाने विवेक अग्निहोत्री स्वयं अकेले ही चल पड़ते हैं--और धीरे-धीरे उनका साथ देने वाले भी मिल जाते हैं। किन्तु न सिर्फ फिल्म जगत में, बल्कि शिक्षण संस्थानों में स्थापित सत्ता भी नहीं चाहती थी कि ये फिल्म दर्शकों तक पहुँचे। जब इस फिल्म को सिनेमा के परदे पर आने की आशा समाप्त होती दिखी, तो विवेक अग्निहोत्री ने इस फिल्म को देश के कुछ बहुत ही प्रसिद्ध शिक्षण संस्थानों, तकनीकी संस्थानों में जा-जा कर प्रदर्शित करने का निर्णय लिया। ऐसा क्या था इस फिल्म में कि कई बार उन पर जानलेवा हमले हुए और फिल्म के प्रदर्शन को रोकने के लिए अनेक हथकंडे अपनाए गए? 'अर्बन नक्सल्स' कौन हैं? कहाँ रहते हैं, या यों कहें, कि कहाँ छुपे रहते हैं? क्या हम उन्हें पहचान पाएँगे? शिक्षण संस्थानों में कौन सी सत्ताएँ स्थापित हैं, जो इस देश की प्रगति को रोकने के लिए इस देश के युवाओं को देश के ही विरुद्ध दिग्भ्रमित करने में विश्वास रखतीं हैं? अर्बन नक्सल्स एक फिल्म के बनने से लेकर उसके प्रदर्शन को रोकने तक की पूरी यात्रा के दौरान हुई घटनाओं के जरिये 'अर्बन नक्सल्स' का रहस्योद्घाटन करती है। "

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