Pagalkhana
Material type:
- 9789387462342
- H 891.433 CHA
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 891.433 CHA (Browse shelf(Opens below)) | Available | 167419 |
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H 891.433 AGY Bandi Jeevan Aur Anya Kavitayein | H 891.433 BIT Bita hua bhavishya/(ed.) by Bal Phondke | H 891.433 CHA Ek tukda dhoop (kahani sangrah) | H 891.433 CHA Pagalkhana | H 891.433 CHA Charitraheen | H 891.433 CHA Path ke davedar | H 891.433 DUB October Juntion |
ज्ञान चतुर्वेदी का यह पाँचवाँ उपन्यास है। इसलिए उनके कथा-शिल्प या व्यंग्यकार के रूप में वह अपनी औपन्यासिक कृतियों को जो वाग-वैदग्ध्य, भाषिक, शाब्दिक तुर्शी, समाज और समय को देखने का एक आलोचनात्मक नज़रिया देते हैं, उसके बारे में अलग से कुछ कहने का कोई औचित्य नहीं है। हिन्दी के पाठक उनके 'नरक-यात्रा', 'बारामासी' और 'हम न मरब' जैसे उपन्यासों के आधार पर जानते हैं कि उन्होंने अपनी औपन्यासिक कृतियों में सिर्फ व्यंग्य का ठाठ खड़ा नहीं किया, न ही किसी भी $कीमत पर पाठक को हँसाकर अपना बनाने का प्रयास किया, उन्होंने व्यंग्य की नोक से अपने समाज और परिवेश के असल नाक-नक्श उकेरे।
इस उपन्यास में भी वे यही कर रहे हैं। जैसा कि उन्होंने भूमिका में विस्तार से स्पष्ट किया है
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