Bhram aur nirsan
Material type:
- 9789388183581
- H 158 DAB
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 158 DAB (Browse shelf(Opens below)) | Available | 167426 |
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"H 158 AGA Agarwal,Vijay" Anand ki pyaliyan | H 158 CHA Manovaigyanik prayog guide aur mukhya sankhyikiya sutra | H158 DAB Andhvishwash Unmoolan: aachar | H 158 DAB Bhram aur nirsan | H 158 DAB V.1 Andhviswas Unmoolan : vichar | H 158 DAB v.3 Andhavishwas unmoolan : siddhant | H 158 DEV Skaratmak logu ke liye 10 shaktishali vakaye/ translated by Sudhir Dixit and Rajni Dixit |
नरेन्द्र दाभोलकर का जिन्दगी के सारे चिन्तन और सामाजिक सुधारों में यही प्रयास था कि इनसान विवेकवादी बने। उनका किसी जाति-धर्म-वर्ण के प्रति विद्रोह नहीं था। लेकिन षड्यंत्रकारी राजनीति के चलते अपनी सत्ता की कुर्सियों, धर्माडम्बरी गढ़ों को बनाए रखने के लिए उन्हें हिन्दू विरोधी करार देने की कोशिश की गई और कट्टर हिन्दुओं के धार्मिक अन्धविश्वासों के चलते एक सुधारक का खून किया गया। एक सामान्य बात बहुत अहम है, वह यह कि विवेकवादी बनने से हमारा लाभ होता है या हानि इसे सोचें। अगर हमें यह लगे कि हमारा लाभ होता है तो उस रास्ते पर चलें। दूसरी बात यह भी याद रखें कि धर्माडम्बरी, पाखंडी बाबा तथा झूठ का सहारा लेनेवाले व्यक्ति का अविवेक उसे स्वार्थी बनाकर निजी लाभ का मार्ग बता देता है, अर्थात् उसमें उसका लाभ होता है और उसकी नजर से उस लाभ को पाना सही भी लगता है; लेकिन उसके पाखंड, झूठ के झाँसे से हमें हमारा विवेक बचा सकता है।
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