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Him shikharon ki chhaya men v.1988

By: Material type: TextTextPublication details: Delhi; Rajpal; 1988Description: 115 pDDC classification:
  • UK 910.0954 PRA
Summary: हिमालय सहस्त्राब्दियों से आकर्षण का केन्द्र रहा है और भांति-भांति के यात्री कभी शांति तथा कभी मुक्ति की खोज में, भौर कभी केवल अपनी भ्रमण वृत्ति को संतोष देने के लिए उसकी यात्रा करते रहे हैं । ये यात्रा विवरण प्रकाशित भी होते हैं परंतु कभी ऐसा नहीं लगा कि उसके विषय में जो लिखा जा सकता था. वह सब लिखा जा चुका है। उन्हीं स्थानों के यात्रा विवरण बार-बार पढ़ने पर भी लगता है, कुछ रह गया है, कुछ छूट गया है-जिसे शायद कोई और भविष्य में व्यक्त करे । सामान्य यात्री की तुलना में रचनात्म कता से जुड़े यात्री की प्रतिक्रियाएं तथा अभिव्यक्तियां सदा भिन्न और अधिक संवेद्य होती हैं। प्रसिद्ध रचनाकार विष्णु प्रभाकर भी अपने जीवन में बड़े यात्री रहे हैं, यद्यपि उन्होंने इन पर लिखा कम ही है। हिमालय के विविध प्रदेशों की उनको तीन यात्राएं इस रचना में संकलित हैं - उत्तराखंड, जम नोत्री और कश्मीर को। ये सभी इन प्रदेशों की विशिष्टताओं को उजागर करने के साथ पर्वतों के संबंध में उनकी अन्तद् ष्टि को व्यक्त करती हैं ।
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हिमालय सहस्त्राब्दियों से आकर्षण का केन्द्र रहा है और भांति-भांति के यात्री कभी शांति तथा कभी मुक्ति की खोज में, भौर कभी केवल अपनी भ्रमण वृत्ति को संतोष देने के लिए उसकी यात्रा करते रहे हैं । ये यात्रा विवरण प्रकाशित भी होते हैं परंतु कभी ऐसा नहीं लगा कि उसके विषय में जो लिखा जा सकता था. वह सब लिखा जा चुका है। उन्हीं स्थानों के यात्रा विवरण बार-बार पढ़ने पर भी लगता है, कुछ रह गया है, कुछ छूट गया है-जिसे शायद कोई और भविष्य में व्यक्त करे ।

सामान्य यात्री की तुलना में रचनात्म कता से जुड़े यात्री की प्रतिक्रियाएं तथा अभिव्यक्तियां सदा भिन्न और अधिक संवेद्य होती हैं। प्रसिद्ध रचनाकार विष्णु प्रभाकर भी अपने जीवन में बड़े यात्री रहे हैं, यद्यपि उन्होंने इन पर लिखा कम ही है। हिमालय के विविध प्रदेशों की उनको तीन यात्राएं इस रचना में संकलित हैं - उत्तराखंड, जम नोत्री और कश्मीर को। ये सभी इन प्रदेशों की विशिष्टताओं को उजागर करने के साथ पर्वतों के संबंध में उनकी अन्तद् ष्टि को व्यक्त करती हैं ।

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