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Hindi bhasha ka itihash c.1

By: Material type: TextTextPublication details: Almora; Almora book; 1990Description: 224 pDDC classification:
  • H 491.4309 RUW
Summary: इस पुस्तक में हिंदी भाषा के क्रमिक विकास को सर्वस्व भाषा-शैली में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। हिंदी भाषा ने आज जो रूप धारण किया है उस रूप तक पहुँचने में उसे जिन जिन सोपानों से यात्रा करनी पड़ी है उसका सरल और संक्षिप्त इतिहास ग्रंथित करना इस पुस्तक का मुख्य लक्ष्य रहा है। कहना न होगा कि हिंदी भाषा की ऐतिहासिक पीठिका की सम्यक जानकारी के बिना उसके भाषिक अध्ययन में प्रवृत्त होना व्यर्थ का श्रम करना है। इस पुस्तक में शब्दभांडारिक विकास, रूपात्मक संरचना, वाक्य और अर्थ संरचना के प्रमुख संदर्भों को संक्षेप में प्रस्तुत कियागया है। जिन-जिन विद्वानों की कृतियों से इस पुस्तक के प्रणयन में सहायता ली गई है, उन उन विद्वानों के प्रति में कृतज्ञता प्रकट करता हूँ यदि विद्यार्थी इस पुस्तक से कुछ भी लाभ उठा सके तो मैं अपना श्रम सफल समक्षूंगा।
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Books Books Gandhi Smriti Library H 491.4309 RUW (Browse shelf(Opens below)) Available 37324
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इस पुस्तक में हिंदी भाषा के क्रमिक विकास को सर्वस्व भाषा-शैली में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। हिंदी भाषा ने आज जो रूप धारण किया है उस रूप तक पहुँचने में उसे जिन जिन सोपानों से यात्रा करनी पड़ी है उसका सरल और संक्षिप्त इतिहास ग्रंथित करना इस पुस्तक का मुख्य लक्ष्य रहा है।
कहना न होगा कि हिंदी भाषा की ऐतिहासिक पीठिका की सम्यक जानकारी के बिना उसके भाषिक अध्ययन में प्रवृत्त होना व्यर्थ का श्रम करना है। इस पुस्तक में शब्दभांडारिक विकास, रूपात्मक संरचना, वाक्य और अर्थ संरचना के प्रमुख संदर्भों को संक्षेप में प्रस्तुत कियागया है।
जिन-जिन विद्वानों की कृतियों से इस पुस्तक के प्रणयन में सहायता ली गई है, उन उन विद्वानों के प्रति में कृतज्ञता प्रकट करता हूँ यदि विद्यार्थी इस पुस्तक से कुछ भी लाभ उठा सके तो मैं अपना श्रम सफल समक्षूंगा।

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