Aadhunik Bharat mein shaikshik chintan v.1990
Material type:
- H 370.1 JAS
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 370.1 JAS (Browse shelf(Opens below)) | Available | 37276 |
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भारतीय शिक्षा पर गम्भीर चिन्तन सामाजिक क्रांति के लिए आवश्यक है । टॉफलर का कथन है, "भविष्य निर्माण की मूर्त कल्पना ही शिक्षा का स्रोत है। यदि समाज द्वारा मान्य यह मूर्त रूप नितांत अनुपयुक्त है तो उसकी शिक्षा प्रणाली भी युवकों के लिए प्रवंचना मात्र होगी । "
भारत के अनेक मनीषियों ने भारतीय आत्मा की वास्तविकता को पहचानते हुए, भारतीय शिक्षा को इसकी आत्मा से जोड़ने पर बल दिया है। ऐसा लगता है, हम पाश्चात्य शिक्षा एवं विज्ञान की चकाचौंध से इतने प्रभावित हो गए हैं कि हम रवि बाबू के शब्दों में "बाहरी पिंजरा सोने का बनाने का प्रयत्न कर रहे हैं, जबकि भीतर पक्षी बाहर निकलने के लिए घुटन अनुभव कर रहा है।"
प्रस्तुत पुस्तक में विद्वान शिक्षाशास्त्री डॉ० हरिराम जसटा ने भारतीय शैक्षिक चिन्तन के महत्वपूर्ण आयामों को फिर से टटोला है । भारतीय शिक्षा की अनेक चुनौतियों को प्रस्तुत किया है, जिनका समाधान भी आधुनिक भारतीय चिन्तकों ने खोजने का प्रयत्न किया है। जिन्होंने भारतीय शिक्षा को भारतीय आत्मा से जोड़ने की कोशिश की, उनके अमूल्य विचार, नपी-तुली भाषा में, प्रस्तुत पुस्तक में हैं ।
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