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Hindi bhasha: paschimi aur purvi c.2

By: Material type: TextTextPublication details: Aligarh; Somanchal; 1983Description: 100 pDDC classification:
  • H 491.4309 SHA
Summary: भारत बहुभाषा-भाषी राष्ट्र है, जिसके मध्य में स्थित प्राचीन मध्यदेश ही आज हिन्दी भाषा-भाषी राज्यों के रूप में है। इन सभी राज्यों को राज भाषा हिन्दी है अतः राजनैतिक मानचित्र पर जो हिन्दी भाषा-भाषी राज्य है, जिसके अन्तर्गत अनेक उपभाषाएँ तथा बोलियाँ हैं। इन उपभाषाओं तथा बोलियों के जनपदीय साहित्य का विशेष महत्व है। डा० धीरेन्द्र वर्मा, डा० हरदेव बाहरी, डा० रामविलास शर्मा, डा० भोलानाथ तिवारी, डा० अम्बा प्रसाद 'सुमन' प्रभूति विद्वानों ने भाषा-परिवार पर विशेष रूप से लिखा है इस परम्परा में ही डा० गेंदालाल शर्मा द्वारा लिखित 'हिन्दी भाषा पश्चिमी और पूर्वी पुस्तक आती हैं; जिसके प्रथम अध्याय में हिन्दी अभिधान और अव धारणा शीर्षक से हिन्दी के विभिन्न स्वरूपों पर प्रकाश डाला गया है। पुस्तक के प्रारंभ में ही प्राचीन जनपद हिन्दीभाषी प्रदेश का मानचित्र भी दिया गया है। प्राचीन जनपदों से आज की लोकभाषाओं को जोड़ने का श्रेय महापंडित राहुल सांकृत्यायन तथा डा० वासुदेवशरण अग्रवाल को है। लेखक ने दो दशक पूर्व ही हिन्दी की दो प्रमुख उपभाषाओं – ब्रजभाषा और खड़ीबोली पर महत्त्वपूर्ण शोधकार्य प्रस्तुत किया था। अब शेष उपभाषाओं पर भी उसने विस्तार से लिखकर एक स्थान पर सभी कार्य प्रस्तुत किया है। अब तक इन उपभाषाओं बोलियों पर पृथक-पृथक अनेक शोध ग्रंथ प्रस्तुत किये जा चुके हैं। लेखक ने एक स्थान पर सभी उपयोगी सामग्री को उपस्थित कर बोलीविज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है।
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भारत बहुभाषा-भाषी राष्ट्र है, जिसके मध्य में स्थित प्राचीन मध्यदेश ही आज हिन्दी भाषा-भाषी राज्यों के रूप में है। इन सभी राज्यों को राज भाषा हिन्दी है अतः राजनैतिक मानचित्र पर जो हिन्दी भाषा-भाषी राज्य है, जिसके अन्तर्गत अनेक उपभाषाएँ तथा बोलियाँ हैं। इन उपभाषाओं तथा बोलियों के जनपदीय साहित्य का विशेष महत्व है। डा० धीरेन्द्र वर्मा, डा० हरदेव बाहरी, डा० रामविलास शर्मा, डा० भोलानाथ तिवारी, डा० अम्बा प्रसाद 'सुमन' प्रभूति विद्वानों ने भाषा-परिवार पर विशेष रूप से लिखा है इस परम्परा में ही डा० गेंदालाल शर्मा द्वारा लिखित 'हिन्दी भाषा पश्चिमी और पूर्वी पुस्तक आती हैं; जिसके प्रथम अध्याय में हिन्दी अभिधान और अव धारणा शीर्षक से हिन्दी के विभिन्न स्वरूपों पर प्रकाश डाला गया है। पुस्तक के प्रारंभ में ही प्राचीन जनपद हिन्दीभाषी प्रदेश का मानचित्र भी दिया गया है। प्राचीन जनपदों से आज की लोकभाषाओं को जोड़ने का श्रेय महापंडित राहुल सांकृत्यायन तथा डा० वासुदेवशरण अग्रवाल को है। लेखक ने दो दशक पूर्व ही हिन्दी की दो प्रमुख उपभाषाओं – ब्रजभाषा और खड़ीबोली पर महत्त्वपूर्ण शोधकार्य प्रस्तुत किया था। अब शेष उपभाषाओं पर भी उसने विस्तार से लिखकर एक स्थान पर सभी कार्य प्रस्तुत किया है। अब तक इन उपभाषाओं बोलियों पर पृथक-पृथक अनेक शोध ग्रंथ प्रस्तुत किये जा चुके हैं। लेखक ने एक स्थान पर सभी उपयोगी सामग्री को उपस्थित कर बोलीविज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है।

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