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Shikshan-adhigam evam vikas ke manovegyanik aadhar v.1990

By: Material type: TextTextPublication details: Meeruth; Saroop Prakashan; 1990Description: 390 pDDC classification:
  • H 370.15 SHA
Summary: शिक्षा-प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य बालक के व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन लाना है जिससे सर्वागीण विकास और समाज का कल्याण हो सके। मनोवैज्ञानिक विकास एवं अनुसंधानों से शिक्षा के स्वरूप पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है। मनोविज्ञान ने व्यक्ति की आन्तरिक शक्तियों और सामाजिक वातावरण को समझने में पर्याप्त सहयोग दिया है। इसी विचारधारा ने एक नवीन विज्ञान शिक्षा मनोविज्ञान' को जन्म दिया। शिक्षा मनोविज्ञान ने शिक्षा के सिद्धान्त (Theory) और प्रयोगात्मक पक्ष (Practice ) पर अत्यधिक प्रभाव डाला है। मनोविज्ञान के क्षेत्र में शिक्षा की प्रक्रिया पूर्णतः मनोवैज्ञानिक मानी गयी है। इसके अंदों में शिक्षक, विद्यार्थी एवं पाठ्यक्रम को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। अधिगम ( सीखना) मानव के मूल प्रवृत्यात्मक व्यवहार में संशोधन की प्रक्रिया है। शिक्षण प्रक्रिया में अधिगम के सिद्धान्तों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। परन्तु अधिगम सिद्धान्तों की सहायता से शिक्षण की समस्याओं का समाधान सम्भव नहीं हो सका है। आधुनिक विचारधारा शिक्षण के सिद्धान्तों पर विशेष बल देती है। एक प्रशिक्षित शिक्षक यह जानता है कि बालकों में विभिन्नता, उनका पिछड़ा होना, उनके मानसिक स्वास्थ्य व शारीरिक विकास सम्बन्धी समस्यायें, उनके सीखने सम्बन्धी समस्यायें, बुद्धि विकास की समस्यायें आदि ऐसी समस्यायें हैं जिनको समझे बिना उनका शिक्षण सम्भव नहीं है। आज बालक की योग्यताओं, क्षमताओं, व्यक्तित्व, बुद्धि, अभिरुचियाँ आदि का मापन वैज्ञानिक ढंग से सम्भव हो गया है तथा बालकों को विभिन्न प्रकार का निर्देशन देने में शिक्षा मनोविज्ञान ही सहायता करता है। प्रस्तुत पुस्तक की रचना विभिन्न भारतीय विश्वविद्यालयों के बी० ए० (शिक्षा) बी० एड०, एम० ए० (शिक्षा), एम० एड०, एम० फिल आदि कक्षाओं के नवीन पाठ्य क्रम को ध्यान में रखकर की गई है। पुस्तक को निम्न अध्यायों में विभाजित किया गया है :- (1) शिक्षा और मनोविज्ञान (2) शिक्षण अधिगम की प्रकृति, (3) अभिवृद्धि और विकास, (4) वंशानुक्रम तथा वातावरण, (5) चरित्र विकास एवं आदतों का निर्माण, (6) वैयक्तिक विभिन्नता और मार्ग प्रदर्शन, (7) बालक की आवश्यकतायें एवं संवेग, (8) अभिप्रेरणा और अधिगम (9) स्मृति एवं विस्मृति (10) खेल और बकान, (11) बाल अपराध, (12) सीखना अथवा अधिगम (13) सीखने के सिद्धान्त, (14) अधिगम या प्रशिक्षण का स्थानान्तरण (15) वृद्धि और उसका मापन (16) व्यक्तित्व और उसका मान (17) निष्पत्ति परीक्षण, (18) मानसिक स्वास्थ्य, (19) क्रियात्मक अनुसंधान (20) मिक्षा में प्रारम्भिक सांख्यिकी— सन्दर्भ ग्रन्थ सूची ।
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शिक्षा-प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य बालक के व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन लाना है जिससे सर्वागीण विकास और समाज का कल्याण हो सके। मनोवैज्ञानिक विकास एवं अनुसंधानों से शिक्षा के स्वरूप पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है। मनोविज्ञान ने व्यक्ति की आन्तरिक शक्तियों और सामाजिक वातावरण को समझने में पर्याप्त सहयोग दिया है। इसी विचारधारा ने एक नवीन विज्ञान शिक्षा मनोविज्ञान' को जन्म दिया। शिक्षा मनोविज्ञान ने शिक्षा के सिद्धान्त (Theory) और प्रयोगात्मक पक्ष (Practice ) पर अत्यधिक प्रभाव डाला है।

मनोविज्ञान के क्षेत्र में शिक्षा की प्रक्रिया पूर्णतः मनोवैज्ञानिक मानी गयी है। इसके अंदों में शिक्षक, विद्यार्थी एवं पाठ्यक्रम को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। अधिगम ( सीखना) मानव के मूल प्रवृत्यात्मक व्यवहार में संशोधन की प्रक्रिया है। शिक्षण प्रक्रिया में अधिगम के सिद्धान्तों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। परन्तु अधिगम सिद्धान्तों की सहायता से शिक्षण की समस्याओं का समाधान सम्भव नहीं हो सका है। आधुनिक विचारधारा शिक्षण के सिद्धान्तों पर विशेष बल देती है।

एक प्रशिक्षित शिक्षक यह जानता है कि बालकों में विभिन्नता, उनका पिछड़ा होना, उनके मानसिक स्वास्थ्य व शारीरिक विकास सम्बन्धी समस्यायें, उनके सीखने सम्बन्धी समस्यायें, बुद्धि विकास की समस्यायें आदि ऐसी समस्यायें हैं जिनको समझे बिना उनका शिक्षण सम्भव नहीं है। आज बालक की योग्यताओं, क्षमताओं, व्यक्तित्व, बुद्धि, अभिरुचियाँ आदि का मापन वैज्ञानिक ढंग से सम्भव हो गया है तथा बालकों को विभिन्न प्रकार का निर्देशन देने में शिक्षा मनोविज्ञान ही सहायता करता है।

प्रस्तुत पुस्तक की रचना विभिन्न भारतीय विश्वविद्यालयों के बी० ए० (शिक्षा) बी० एड०, एम० ए० (शिक्षा), एम० एड०, एम० फिल आदि कक्षाओं के नवीन पाठ्य क्रम को ध्यान में रखकर की गई है।

पुस्तक को निम्न अध्यायों में विभाजित किया गया है :- (1) शिक्षा और मनोविज्ञान (2) शिक्षण अधिगम की प्रकृति, (3) अभिवृद्धि और विकास, (4) वंशानुक्रम तथा वातावरण, (5) चरित्र विकास एवं आदतों का निर्माण, (6) वैयक्तिक विभिन्नता और मार्ग प्रदर्शन, (7) बालक की आवश्यकतायें एवं संवेग, (8) अभिप्रेरणा और अधिगम (9) स्मृति एवं विस्मृति (10) खेल और बकान, (11) बाल अपराध, (12) सीखना अथवा अधिगम (13) सीखने के सिद्धान्त, (14) अधिगम या प्रशिक्षण का स्थानान्तरण (15) वृद्धि और उसका मापन (16) व्यक्तित्व और उसका मान (17) निष्पत्ति परीक्षण, (18) मानसिक स्वास्थ्य, (19) क्रियात्मक अनुसंधान (20) मिक्षा में प्रारम्भिक सांख्यिकी— सन्दर्भ ग्रन्थ सूची ।

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