Rajbhasha Hindi:vikas ke vividh ayam
Material type:
- H 491.43 MOH
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Gandhi Smriti Library | H 491.43 MOH (Browse shelf(Opens below)) | Available | 35861 |
आज हिन्दी भारत की राजभाषा है। हिन्दी को एक प्रादेशिक भाषा की हैसियत से लेकर राष्ट्रभाषा के रूप में सर्वमान्य और लोकप्रिय भाषा बनने में और फिर भारत की राजभाषा बनने में कई शताब्दियां लगी हैं। उसको विकास की कई अवस्थाओं में से गुजरना पड़ा है। उसके लिए समय-समय पर कई आंदोलन भी हुए। जनभाषा, राष्ट्रभाषा, संपर्क भाषा और राजभाषा के विविध सोपानों में हिन्दी के विकास के विविध आयाम हैं। हिन्दी को इन विविध सोपानों में विक सित होने के लिए बहुत-से तथ्यों का योगदान रहा है। हिन्दी के इस ऐतिहासिक विकास का अनुशीलन अपने में एक महत्त्वपूर्ण विषय है ।
आज के सामान्य हिन्दी पाठक और हिन्दी के विद्यार्थी हिन्दी के इस विकास कम से अपरिचित हैं। यहां तक कि बहुत से हिन्दी भाषी भी हिन्दी के सार्वदेशिक स्वरूप से और हिन्दी को राजभाषा बनाने वाली उन परिस्थितियों से भी अन भिज्ञ हैं। हिन्दी के स्वाभाविक विकास के विविध सोपानों के सही ज्ञान के अभाव में हिन्दी के विरोध में या हिन्दी के पक्ष में कभी-कभी राजनीतिक नेता भी बहुत कुछ भ्रामक बातें बोल देते हैं, जिसका जनमानस पर बुरा असर पड़ता है। अगर हिन्दी आज राजभाषा बनी है तो उसके पीछे बहुत से तथ्य हैं, संघर्ष और त्याग का इतिहास है । इन तथ्यों पर प्रकाश डालकर राजभाषा हिन्दी के विकास के विविध आयामों का उद्घाटन करने का प्रयास प्रस्तुत ग्रन्थ में किया गया है।
हिन्दी भाषा के स्वरूप और विकास पर भाषा वैज्ञानिक, साहित्यिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोणों से अनेक पुस्तकें प्रकाशिक हो चुकी हैं। परन्तु दिल्ली के आसपास की मेरठ जनपदीय बोली हिन्दवी-हिन्दी, किन सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्रेरक तत्त्वों से प्रभावित और विकसित होकर भारत की राजभाषा बनी, इसका संपूर्ण परन्तु संक्षिप्त अध्ययन आज के हिन्दी के सामान्य पाठक और विद्यार्थी के लिए हिन्दी की ऐति हासिक परम्परा को सही रूप में जानने के निमित्त आवश्यक हो गया है। इस आवश्यकता की पूर्ति करना ही प्रस्तुत ग्रंथ का उद्देश्य है
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