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Arthik vikas evam niyojan

By: Material type: TextTextPublication details: New Delhi; S.Chand; 1989.Edition: 10thDescription: 313 pDDC classification:
  • H 338.9 SIN c.1 10 ed
Summary: 'आर्थिक विकास एवं नियोजन' का पूर्णतया संशोधित एवं परिवद्धित संस्करण अपने प्रिय पाठकों को समर्पित एवं प्रस्तुत करते हुए मुझे अत्यधिक हर्ष एवं संतोष का अनुभव हो रहा है। मेरी यह मान्यता है कि किसी भी पुस्तक का नया संस्करण, उसके पाठकों की स्वीकृति का ही परिणाम होता है। अतः इस भाव में, में सर्वप्रथम अपने प्रिय पाठकों, श्रद्धेय प्राध्यापकों तथा शुभचिन्तकों का हृदय से आभार प्रकट करता हूँ। हाँ! इस संस्करण के विलम्ब के लिए मुझे हार्दिक खेद है। पुस्तक की उपादेयता बढ़ाने की दृष्टि से पाठकों द्वारा भेजे गए सुझावों के लिए मैं आभारी हैं। इस संस्करण की रचना करते समय उन सभी सुझावों को पूरी तरह से दृष्टि में रखा गया है। निःसन्देह यह संस्करण भी प्रिय पाठकों के अमूल्य सुझावों का ही एक प्रतिबिम्ब है । संशोधन-खोत इस संस्करण की विषय सामग्री को नई साज-सज्जा देने के साथ-साथ पूर्णतः अद्यतन बनाया गया है। भारत के आर्थिक विकास की सभी समस्याओं एवं पहलुओं को सातवी पंचवर्षीय योजना मध्यावधि समीक्षा 1988 के परिवेश में तैयार किया गया है। फिर, भारतीय अर्थव्यवस्था का विश्व अर्थव्यवस्थाओं से अनेक स्तरों पर तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। संशोधन हेतु प्रयुक्त सामग्री स्रोत इस प्रकार हैं: 1. भारत सरकार, आर्थिक समीक्षा 1987-88 2. रिजर्व बैंक, करन्सी एवं फाइनेन्स रिपोर्ट: 1986-87 3. सातवीं पंचवर्षीय योजना-मध्यावधि समीक्षा (1988) 4. भारत सरकार का बजट 1988-89 5. हैण्ड बुक ऑफ इण्डस्ट्रीयल स्टेटिस्टिक्स : 1987 6. स्टेटिस्टिकल आउट लाइन ऑफ इण्डिया 1988-89 7. विश्व बैंक, विश्व विकास रिपोर्ट 1988 8. इकनोमिक टाइम्स, जून- दिसम्बर 1988 अंक पुस्तक में जोड़े गए 'नये अध्याय' 1. सातवीं पंचवर्षीय योजना की मध्यावधि समीक्षा 2. आठवीं पंचवर्षीय योजना 1990-95 - दृष्टिकोण-पत्र पुस्तक में समावेशित नये 'प्रभाग ' 1. विश्व में आर्थिक विकास एवं विपमता की संरचना : 1986 2. विकसित तथा विकासशील देशों में (i) जनसंख्या की औसत वार्षिक वृद्धिदर (1970-86), (ii) विश्व में प्रतिदिन उषिकीय प्रति-व्यक्ति (1985) 3. विश्व जनसंख्या का वितरण तथा वृद्धिदर 4. भारत में घरेलू बचतें तथा पूँजी निर्माण: 1950-87 5. भारत में सकल बचतों का क्षेत्रवार योगदान 1951-87 6. भारत का कृषिगत विकास, 1950-51 से 1986-87 तक 7. कृषि उत्पादिता की अन्तर्राष्ट्रीय सुमना 1951-56, 1961-65, 1985-86 8. विश्व अर्थव्यवस्थाओं में लोक-वित्त की संरचना में बदलाव 9. सातवीं योजना का रोजगार परिप्रेक्ष्य : लक्ष्य एवं प्रगति 10. रोजगार के IRDP तथा NREP कार्यक्रमों की 1987-88 तक प्रगति 11. सातवीं योजना में जनशक्ति आयोजन का मूल्यांकन 12. 1951 से 1986 के दौरान भारत में संगठित क्षेत्र में रोजगार 13. भारत में विदेशी पूंजी की स्थिति: 1951 से 1987 तक 14. सार्वजनिक उद्यमों की कार्य प्रगति: 1951 से 1987 के दौरान वृद्धि 15. भारत में हीनार्थ प्रबन्धन पर विहंगम दृष्टिपात (पहली से सातवी योजना तक) 16. 1950-51 से 1987-88 के दौरान भारत में कीमतें 17. भारत में आयात-निर्यात की उपनति (1951-52 से 1987-88) पूर्णतया नये लिखे गए 'अध्याय' 1. कृषि तथा आर्थिक विकास 2. राज्य सार्वजनिक उद्यम और आर्थिक विकास 3. बेरोजगारी और जनशक्ति आयोजन 'भारतीय अर्थव्यवस्था एक दृष्टि में' नामक दर्पण को 1987-88 तक संशो धित कर दिया गया है इसी प्रकार विश्व अर्थव्यवस्था एक दृष्टि में' को विश्व बैंक रिपोर्ट 1988 पर आधारित किया गया है । विभिन्न विश्वविद्यालयों की 1988 तक की परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों का संकलन करने के साथ-साथ उनके 'उत्तर संकेत' भी दिये गये हैंI
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'आर्थिक विकास एवं नियोजन' का पूर्णतया संशोधित एवं परिवद्धित संस्करण अपने प्रिय पाठकों को समर्पित एवं प्रस्तुत करते हुए मुझे अत्यधिक हर्ष एवं संतोष का अनुभव हो रहा है। मेरी यह मान्यता है कि किसी भी पुस्तक का नया संस्करण, उसके पाठकों की स्वीकृति का ही परिणाम होता है। अतः इस भाव में, में सर्वप्रथम अपने प्रिय पाठकों, श्रद्धेय प्राध्यापकों तथा शुभचिन्तकों का हृदय से आभार प्रकट करता हूँ। हाँ! इस संस्करण के विलम्ब के लिए मुझे हार्दिक खेद है।

पुस्तक की उपादेयता बढ़ाने की दृष्टि से पाठकों द्वारा भेजे गए सुझावों के लिए मैं आभारी हैं। इस संस्करण की रचना करते समय उन सभी सुझावों को पूरी तरह से दृष्टि में रखा गया है। निःसन्देह यह संस्करण भी प्रिय पाठकों के अमूल्य सुझावों का ही एक प्रतिबिम्ब है ।

संशोधन-खोत

इस संस्करण की विषय सामग्री को नई साज-सज्जा देने के साथ-साथ पूर्णतः अद्यतन बनाया गया है। भारत के आर्थिक विकास की सभी समस्याओं एवं पहलुओं को सातवी पंचवर्षीय योजना मध्यावधि समीक्षा 1988 के परिवेश में तैयार किया गया है। फिर, भारतीय अर्थव्यवस्था का विश्व अर्थव्यवस्थाओं से अनेक स्तरों पर तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। संशोधन हेतु प्रयुक्त सामग्री स्रोत इस प्रकार हैं:

1. भारत सरकार, आर्थिक समीक्षा 1987-88 2. रिजर्व बैंक, करन्सी एवं फाइनेन्स रिपोर्ट: 1986-87

3. सातवीं पंचवर्षीय योजना-मध्यावधि समीक्षा (1988) 4. भारत सरकार का बजट 1988-89

5. हैण्ड बुक ऑफ इण्डस्ट्रीयल स्टेटिस्टिक्स : 1987

6. स्टेटिस्टिकल आउट लाइन ऑफ इण्डिया 1988-89

7. विश्व बैंक, विश्व विकास रिपोर्ट 1988

8. इकनोमिक टाइम्स, जून- दिसम्बर 1988 अंक पुस्तक में जोड़े गए 'नये अध्याय'

1. सातवीं पंचवर्षीय योजना की मध्यावधि समीक्षा 2. आठवीं पंचवर्षीय योजना 1990-95 - दृष्टिकोण-पत्र

पुस्तक में समावेशित नये 'प्रभाग '

1. विश्व में आर्थिक विकास एवं विपमता की संरचना : 1986 2. विकसित तथा विकासशील देशों में (i) जनसंख्या की औसत वार्षिक वृद्धिदर (1970-86), (ii) विश्व में प्रतिदिन उषिकीय प्रति-व्यक्ति (1985)
3. विश्व जनसंख्या का वितरण तथा वृद्धिदर 4. भारत में घरेलू बचतें तथा पूँजी निर्माण: 1950-87

5. भारत में सकल बचतों का क्षेत्रवार योगदान 1951-87

6. भारत का कृषिगत विकास, 1950-51 से 1986-87 तक

7. कृषि उत्पादिता की अन्तर्राष्ट्रीय सुमना 1951-56, 1961-65, 1985-86 8. विश्व अर्थव्यवस्थाओं में लोक-वित्त की संरचना में बदलाव

9. सातवीं योजना का रोजगार परिप्रेक्ष्य : लक्ष्य एवं प्रगति 10. रोजगार के IRDP तथा NREP कार्यक्रमों की 1987-88 तक प्रगति

11. सातवीं योजना में जनशक्ति आयोजन का मूल्यांकन

12. 1951 से 1986 के दौरान भारत में संगठित क्षेत्र में रोजगार

13. भारत में विदेशी पूंजी की स्थिति: 1951 से 1987 तक 14. सार्वजनिक उद्यमों की कार्य प्रगति: 1951 से 1987 के दौरान वृद्धि

15. भारत में हीनार्थ प्रबन्धन पर विहंगम दृष्टिपात (पहली से सातवी योजना तक)

16. 1950-51 से 1987-88 के दौरान भारत में कीमतें

17. भारत में आयात-निर्यात की उपनति (1951-52 से 1987-88)

पूर्णतया नये लिखे गए 'अध्याय'

1. कृषि तथा आर्थिक विकास

2. राज्य सार्वजनिक उद्यम और आर्थिक विकास
3. बेरोजगारी और जनशक्ति आयोजन 'भारतीय अर्थव्यवस्था एक दृष्टि में' नामक दर्पण को 1987-88 तक संशो धित कर दिया गया है इसी प्रकार विश्व अर्थव्यवस्था एक दृष्टि में' को विश्व बैंक रिपोर्ट 1988 पर आधारित किया गया है ।

विभिन्न विश्वविद्यालयों की 1988 तक की परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों का संकलन करने के साथ-साथ उनके 'उत्तर संकेत' भी दिये गये हैंI

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