Nanak vani 1985
Material type:
- H 294.6 MIS
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 294.6 MIS (Browse shelf(Opens below)) | Available | 35661 |
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हिन्दी भाषा के अनन्य सेवक एवं पुजारी, राजवि श्री पुरुषोतमदास टण्डन ने 'श्री गुरु ग्रंथ साहिब के अध्ययन में मेरी अभिरुचि देख कर मुझे उस पवित्र ग्रंथ के अनुवाद करने की प्रेरणा सन् १९५० ई० में दी थी। उस समय में 'ग्रंथ साहिब' के दार्शनिक सिद्धान्त के झोप कार्य में अत्यधिक व्यस्त था, अतएव उनके आदेश का पालन न कर सका कार्य की समाप्ति के अनन्तर, सन्त-साहित्य के मर्मज्ञ, पंडित परशुराम चतुर्वेदी ने भी मुझे गुरु नानक देव की वाणी के अनुवाद करने की प्रेरणा इन शब्दों में दो, "हिन्दी साहित्य में गुरु नानक की वाणी का ले आना नितान्त आवश्यक है। मेरा पूरा विश्वास है कि आप उसे क्षमतापूर्वक कर लेंगे।" दोनों ही पूज्य महानुभावों का मैं अत्यधिक आभारी हूँ, क्योंकि इन्हीं की प्रेरणा से मैं इस कार्य को सम्पन्न कर सका।
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