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Shikshan samgri nirman prakriya aur prayog c.1

By: Material type: TextTextPublication details: Agra; Kendriya Hindi Sansthan; 1985Edition: 1st edDescription: 207pDDC classification:
  • H 370.7 SHA
Summary: भाषा शिक्षण के अनिवार्य घटकों में शिक्षक और शिक्षार्थी के अलावा तीसरा आवश्यक पटक शिक्षण सामग्री है। यह शिक्षण सामग्री शिक्षा के स्तर, शिक्षार्थी की आयु और उसके मानसिक विकास आदि के आधार पर तो निर्मित होती ही है, शिक्षण में प्रयुक्त प्रविधि, शिक्षण के उद्देश्य, शिक्षण के स्तर आदि से भी नियंत्रित होती है। शिक्षण का माध्यम और शिक्षण में प्रयुक्त उपकरण भी शिक्षण सामग्री की प्रकृति और स्वरूप को प्रभावित करते हैं। कक्षा अध्यापन के लिए बनाई जाने वाली सामग्री, भाषा प्रयोगशाला के माध्यम से पढ़ाई जाने वाली सामग्री से भिन्न होती है। इस प्रकार शिक्षण सामग्री निर्माण की विविधता के आधार अलग-अलग होते हैं । शिक्षण सामग्री के लिए लक्ष्य भाषा का भाषावैज्ञानिक विश्लेषण तो आधार का कार्य करता ही है, शिक्षण के सिद्धान्तों और प्रविधियों के आधार पर पाठ्य बिन्दुओं का चयन और अनुस्तरण किया जाना भी आवश्यक होता है। इस प्रकार भाषा शिक्षण के लिए शिक्षण सामग्री का निर्माण एक अत्यन्त जटिल और श्रमसाध्य कार्य है। सामग्री के निर्माता को अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान, भाषा शिक्षण, तथा प्रणाली विज्ञान में दक्ष तो होना ही चाहिए इसके अलावा उसे शिक्षण के वास्तविक संदर्भ का अनुभव होना भी आवश्यक है । शिक्षण सामग्री का निर्माण करते समय इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि शिक्षार्थी कौन है बालक अथवा प्रौढ़, क्योंकि इसी आधार पर उसके मानसिक विकास के बारे में पूर्वानुमान किया जा सकता है। साथ ही शिक्षार्थी के सामाजिक एवं आर्थिक वर्ग संबंधों की जानकारी उसकी प्रवृत्ति और तात्कालिक भाषा ज्ञान और भाषा व्यवहार की जानकारी भी आवश्यक होती है। यदि शिक्षार्थी एक भाषी न होकर बहुभाषी है तो यह जानना भी आवश्यक हो जाता है कि उसने कौन-कौन सी भाषा कबकब, किन-किन स्थितियों में सीखी और उनमें वह किस सीमा तक दक्ष है। ऐसी स्थिति में अलग-अलग भाषीय कौशलों में इस प्रकार की दक्षता की जानकारी करना आवश्यक हो जाता है। इसके अतिरिक्त यह जानना भी आवश्यक होता है कि शिक्षार्थी किस उद्देश्य से यह भाषा सीख रहा है। इससे उसकी अभि वृत्ति और प्रेरणा के बारे में पता लग सके I
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भाषा शिक्षण के अनिवार्य घटकों में शिक्षक और शिक्षार्थी के अलावा तीसरा आवश्यक पटक शिक्षण सामग्री है। यह शिक्षण सामग्री शिक्षा के स्तर, शिक्षार्थी की आयु और उसके मानसिक विकास आदि के आधार पर तो निर्मित होती ही है, शिक्षण में प्रयुक्त प्रविधि, शिक्षण के उद्देश्य, शिक्षण के स्तर आदि से भी नियंत्रित होती है। शिक्षण का माध्यम और शिक्षण में प्रयुक्त उपकरण भी शिक्षण सामग्री की प्रकृति और स्वरूप को प्रभावित करते हैं। कक्षा अध्यापन के लिए बनाई जाने वाली सामग्री, भाषा प्रयोगशाला के माध्यम से पढ़ाई जाने वाली सामग्री से भिन्न होती है। इस प्रकार शिक्षण सामग्री निर्माण की विविधता के आधार अलग-अलग होते हैं ।

शिक्षण सामग्री के लिए लक्ष्य भाषा का भाषावैज्ञानिक विश्लेषण तो आधार का कार्य करता ही है, शिक्षण के सिद्धान्तों और प्रविधियों के आधार पर पाठ्य बिन्दुओं का चयन और अनुस्तरण किया जाना भी आवश्यक होता है। इस प्रकार भाषा शिक्षण के लिए शिक्षण सामग्री का निर्माण एक अत्यन्त जटिल और श्रमसाध्य कार्य है। सामग्री के निर्माता को अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान, भाषा शिक्षण, तथा प्रणाली विज्ञान में दक्ष तो होना ही चाहिए इसके अलावा उसे शिक्षण के वास्तविक संदर्भ का अनुभव होना भी आवश्यक है ।

शिक्षण सामग्री का निर्माण करते समय इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि शिक्षार्थी कौन है बालक अथवा प्रौढ़, क्योंकि इसी आधार पर उसके मानसिक विकास के बारे में पूर्वानुमान किया जा सकता है। साथ ही शिक्षार्थी के सामाजिक एवं आर्थिक वर्ग संबंधों की जानकारी उसकी प्रवृत्ति और तात्कालिक भाषा ज्ञान और भाषा व्यवहार की जानकारी भी आवश्यक होती है। यदि शिक्षार्थी एक भाषी न होकर बहुभाषी है तो यह जानना भी आवश्यक हो जाता है कि उसने कौन-कौन सी भाषा कबकब, किन-किन स्थितियों में सीखी और उनमें वह किस सीमा तक दक्ष है। ऐसी स्थिति में अलग-अलग भाषीय कौशलों में इस प्रकार की दक्षता की जानकारी करना आवश्यक हो जाता है। इसके अतिरिक्त यह जानना भी आवश्यक होता है कि शिक्षार्थी किस उद्देश्य से यह भाषा सीख रहा है। इससे उसकी अभि वृत्ति और प्रेरणा के बारे में पता लग सके I

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