I.T prkiryia ewam jankari
Material type:
- 9788191077087
- H 001.642 GUP
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Gandhi Smriti Library | H 001.642 GUP (Browse shelf(Opens below)) | Available | 166980 |
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आई. टी. का तेज़ी से विकास होने के फलस्वरूप, इस क्षेत्र में जनशक्ति विकास की आवश्यकता समूचे विश्व में काफी अधिक हो गई है। अस्सी के दशक में भारत में कम्प्यूटरों के प्रचलन में तेजी आई और भारत सरकार द्वारा इस ओर विशेष ध्यान दिया गया। वर्ष 1986 में कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर नीति की घोषणा से इस दिशा में सरकार की गम्भीरता का परिचय मिलता है। इसी दशक में रेलवे, एयरलाइन्स जैसे सेवा क्षेत्र में कम्प्यूटरीकरण का कार्य आरम्भ हुआ। इसके
परिणामस्वरूप, देश में कम्प्यूटर कार्मिकों की माँग में भी तेजी से वृद्धि हुई। हमारा देश एक बहु-सांस्कृतिक एवं बहुभाषी देश है, जिसकी लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या गाँवों में रहती है और हमारे संविधान में 18 भाषाओं को मान्यता प्रदान की गई है।
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी को केन्द्र सरकार द्वारा संघ की राजभाषा का दर्जा दिया गया है। सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार के लिए भारत के विशेष संदर्भ में, भारतीय भाषाओं में शिक्षण एवं प्रशिक्षण की नितान्त आवश्यकता है अन्यथा देश का सर्वागीण विकास सम्भव नहीं है। हालाँकि विश्व के संदर्भ में, अंग्रेजी जानने वाली जनसंख्या की दृष्टि से भारत तीसरे स्थान पर है, लेकिन अपने देश के संदर्भ में हमारी लगभग 5 प्रतिशत जनसंख्या ही अंग्रेजी जानती है। क्योंकि सूचना प्रौद्योगिकी एक गुड़ तकनीकी विषय है।
इसका अधिकांश साहित्य भी मुख्यतः अंग्रेजी में उपलब्ध है। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जनशक्ति का अपेक्षित विकास नहीं हो पाने का एक कारण हिन्दी तथा भारतीय भाषाओं में तकनीकी विषयों पर स्तरीय पुस्तकों का अभाव माना जाता है, क्योंकि अंग्रेजी का कम ज्ञान रखने वाले मेधावी छात्र इस क्षेत्र में आने का साहस नहीं जुटा पाते हैं।
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