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Bharatiya hone ka arth

By: Material type: TextTextPublication details: New Delhi; Prabhat; 2005Description: 215pISBN:
  • 8173155399
Subject(s): DDC classification:
  • CS 954 VAR
Summary: भारतीय होने का अर्थ’ में लेखक ने अपनी सूक्ष्म और पैनी दृष्‍टि से भारतीयों की यथार्थ स्थिति और वैश्‍विक विकास में उनकी भागीदारी का परीक्षण करते हुए उनसे संबद्ध रूढ़ और मिथ्या धारणाओं तथा आम मान्यताओं का पूर्ण रूप से खंडन किया है। भारतीयों और भारत की संस्कृति का सूक्ष्म विश्‍लेषण करते हुए लेखक ने उन विसंगतियों और विरोधाभासों पर एक सर्वथा नवीन और चकितकारी निष्कर्ष प्रस्तुत किया है, जो शक्‍ति, संपदा और आध्यात्मिकता जैसे विषयों पर भारतीयों के दृष्‍टिकोण का चित्रण करते हैं।
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भारतीय होने का अर्थ’ में लेखक ने अपनी सूक्ष्म और पैनी दृष्‍टि से भारतीयों की यथार्थ स्थिति और वैश्‍विक विकास में उनकी भागीदारी का परीक्षण करते हुए उनसे संबद्ध रूढ़ और मिथ्या धारणाओं तथा आम मान्यताओं का पूर्ण रूप से खंडन किया है। भारतीयों और भारत की संस्कृति का सूक्ष्म विश्‍लेषण करते हुए लेखक ने उन विसंगतियों और विरोधाभासों पर एक सर्वथा नवीन और चकितकारी निष्कर्ष प्रस्तुत किया है, जो शक्‍ति, संपदा और आध्यात्मिकता जैसे विषयों पर भारतीयों के दृष्‍टिकोण का चित्रण करते हैं।

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