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Shiksha aur sanskriti v.1983

By: Material type: TextTextPublication details: New Delhi; Samanantar; 1983Description: 96pDDC classification:
  • H 370 JAI
Summary: हिन्दी में ज्ञान-विज्ञान का विविध साहित्य उपलब्ध कराने के लिए केन्द्रीय हिंदी निदेशालय, शिक्षा तथा संस्कृति मंत्रालय पुस्तक प्रकाशन की अनेक योजनाओं पर कार्य कर रहा है। इनमें से एक योजना प्रकाशकों के सहयोग से हिंदी में लोकप्रिय पुस्तकों के प्रकाशन को है सन् 1961 से कार्यान्वित की जा रही इस योजना का मुख्य उद्देश्य जनसाधारण में आधुनिक ज्ञान-विज्ञान का प्रचार-प्रसार करना और हिंदीतर भाषाओं के साहित्य की लोकप्रिय पुस्तकों को हिंदी में सुलभ कराना है ताकि ज्ञान-विज्ञान की जान कारी पाठकों को सुबोध शैली में मिल सके। इस योजना के अंतर्गत प्रकाशित होने वाली पुस्तकों का मूल्य यथासंभव कम रखा जाता है ताकि ऐसी पुस्तकें अधिकाधिक पाठकों तक पहुंच सकें। ऐसी प्रकाशित पुस्तकों में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, भारत सरकार द्वारा निर्मित तकनीकी शब्दावली का प्रयोग किया जाता है ताकि हिंदी के विकास में ये पुस्तकें उपयोगी सिद्ध हो सकें। इन पुस्तकों में व्यक्त विचार लेखक के अपने होते हैं। प्रस्तुत पुस्तक हिंदी के सुप्रसिद्ध लेखक श्री जैनेन्द्र कुमार द्वारा लिखी गई। है। इसमें शिक्षा एवं संस्कृति संबंधी विविध ज्वलन्त प्रश्नों पर मौलिक चिन किया गया है। निस्संदेह यह पुस्तक शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में राष्ट्र एवं समाज की वर्तमान पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होगी।
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हिन्दी में ज्ञान-विज्ञान का विविध साहित्य उपलब्ध कराने के लिए केन्द्रीय हिंदी निदेशालय, शिक्षा तथा संस्कृति मंत्रालय पुस्तक प्रकाशन की अनेक योजनाओं पर कार्य कर रहा है। इनमें से एक योजना प्रकाशकों के सहयोग से हिंदी में लोकप्रिय पुस्तकों के प्रकाशन को है सन् 1961 से कार्यान्वित की जा रही इस योजना का मुख्य उद्देश्य जनसाधारण में आधुनिक ज्ञान-विज्ञान का प्रचार-प्रसार करना और हिंदीतर भाषाओं के साहित्य की लोकप्रिय पुस्तकों को हिंदी में सुलभ कराना है ताकि ज्ञान-विज्ञान की जान कारी पाठकों को सुबोध शैली में मिल सके। इस योजना के अंतर्गत प्रकाशित होने वाली पुस्तकों का मूल्य यथासंभव कम रखा जाता है ताकि ऐसी पुस्तकें अधिकाधिक पाठकों तक पहुंच सकें। ऐसी प्रकाशित पुस्तकों में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, भारत सरकार द्वारा निर्मित तकनीकी शब्दावली का प्रयोग किया जाता है ताकि हिंदी के विकास में ये पुस्तकें उपयोगी सिद्ध हो सकें। इन पुस्तकों में व्यक्त विचार लेखक के अपने होते हैं।

प्रस्तुत पुस्तक हिंदी के सुप्रसिद्ध लेखक श्री जैनेन्द्र कुमार द्वारा लिखी गई। है। इसमें शिक्षा एवं संस्कृति संबंधी विविध ज्वलन्त प्रश्नों पर मौलिक चिन किया गया है। निस्संदेह यह पुस्तक शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में राष्ट्र एवं समाज की वर्तमान पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होगी।

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