Hindi ghazal ka pariprekshya (Record no. 358614)

MARC details
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003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER
control field OSt
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020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
International Standard Book Number 9789362874795
040 ## - CATALOGING SOURCE
Transcribing agency AACR-II
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number H 891.4301 ANO
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME
Personal name Anoop, Vashishtha
9 (RLIN) 11529
245 ## - TITLE STATEMENT
Title Hindi ghazal ka pariprekshya
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC.
Place of publication, distribution, etc. New Delhi
Name of publisher, distributor, etc. Vani
Date of publication, distribution, etc. 2024
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Extent 238p.
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc. हिन्दी ग़ज़ल का परिप्रेक्ष्य - ग़ज़ल की रचना और आलोचना को हिन्दी भाषा और साहित्य में प्रतिष्ठा दिलाने के एक अघोषित आन्दोलन में शुमार प्रो. वशिष्ठ अनूप की भूमिका का महत्त्व असाधारण है । इस देश के किसी बड़े अकादमिक संस्थान से जुड़े हुए वे शायद इकलौते कवि-आलोचक होंगे, जो हिन्दी के समकालीन काव्येतिहास से छन्द - कविता के निर्वासन के विरुद्ध लगातार लिख-बोल रहे हैं । गीत-ग़ज़ल या अन्य छान्दसिक काव्य-रूपों के स्थान पर गद्य-संरचना की कविता की प्रतिष्ठा के पीछे अकादमिक केन्द्रों के साहित्यिक वातावरण, वहाँ की छन्द-विमुख काव्याभिरुचियों और तद्नुरूप शैक्षणिक पाठ्यक्रमों के निर्धारण सम्बन्धी निर्णयों की बड़ी भूमिका रही है । इस दृष्टि से देखें, तो ऐसे केन्द्र और संस्थान से जुड़े किसी आचार्य की इन छन्द-विधाओं के पक्ष में वातावरण-निर्माण की कोई कोशिश धारा के विरुद्ध तैरने की तरह महत्त्वपूर्ण नज़र आती है। हिन्दी ग़ज़ल का परिप्रेक्ष्य प्रो. वशिष्ठ अनूप के उस आलोचनात्मक अभियान का ही एक नया चरण है, जो हिन्दी कविता के समकालीन इतिहास में ग़ज़ल को एक स्वतन्त्र काव्य-विधा के रूप में स्थापित करने की उनकी दशकों पुरानी साहित्यिक परियोजना से जुड़ा हुआ है। हिन्दी ग़ज़ल का स्वरूप और महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर, हिन्दी ग़ज़ल की प्रवृत्तियाँ तथा हिन्दी गज़ल के निकष के बाद की इस पुस्तक में हिन्दी ग़ज़ल का परिप्रेक्ष्य के उद्घाटन-क्रम में इस समय के अनेक महत्त्वपूर्ण ग़ज़लकारों की संवेदना, विचार-दृष्टि, भाषा-चेतना और अभिव्यक्ति-पद्धतियों के वैशिष्ट्य का विवेचन किया गया है। प्रो. वशिष्ठ अनूप की ग़ज़ल-सम्बन्धी आलोचना-दृष्टि की विश्वसनीयता का उनके सतर्क रचना - विवेक से बहुत गहरा सम्बन्ध है। हिन्दी ग़ज़ल की रचनात्मकता के अर्थपूर्ण जटिल संस्तरों के उद्घाटन में सक्रिय इस आलोचना की शक्ति और सौन्दर्य का स्रोत प्रो. अनूप के कवि-आलोचक व्यक्तित्व की वह गहरी अन्विति है, जो उन्हें इस क्षेत्र में असाधारण बना देती है । हिन्दी ग़ज़ल के व्यापक और वैविध्यपूर्ण परिप्रेक्ष्य से आलोचनात्मक संवाद करती यह पुस्तक अपने समय, समाज और संस्कृति के जटिल रूपाकारों, उनके प्रश्नों और संकटों के यथार्थ से साक्षात्कार तो कराती ही है, खुद एक काव्य-विधा के रूप में हिन्दी ग़ज़ल की रचनात्मक समस्याओं और सम्भावनाओं का भी आकलन करती है । हिन्दी कविता के इतिहास में ग़ज़ल की आलोचकीय स्वीकृति और महत्त्व-स्थापन के लिए उसके साहित्य और शास्त्र, दोनों पर लगातार विमर्श अपेक्षित है। यह पुस्तक इस विमर्श और अपेक्षा की एक मूल्यवान फलश्रुति है ।
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical term or geographic name entry element Literature-Hindi
9 (RLIN) 11530
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical term or geographic name entry element Miscellaneous Hindi literature- Criticism
9 (RLIN) 11531
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Source of classification or shelving scheme Dewey Decimal Classification
Koha item type Books
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2025-07-03   H 891.4301 ANO 180724 2025-07-03 Books Not Missing Dewey Decimal Classification Not Damaged     Gandhi Smriti Library Gandhi Smriti Library 2025-07-03 180724.00

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