Hindu dharm: Bharatiya drishti (Record no. 358600)
[ view plain ]
000 -LEADER | |
---|---|
fixed length control field | 07103nam a22002057a 4500 |
003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER | |
control field | OSt |
005 - DATE AND TIME OF LATEST TRANSACTION | |
control field | 20250702142151.0 |
008 - FIXED-LENGTH DATA ELEMENTS--GENERAL INFORMATION | |
fixed length control field | 250702b |||||||| |||| 00| 0 eng d |
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER | |
International Standard Book Number | 9789362871343 |
040 ## - CATALOGING SOURCE | |
Transcribing agency | AACR-II |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER | |
Classification number | H 891.4308 SHA |
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME | |
Personal name | Shambhunath |
9 (RLIN) | 5608 |
245 ## - TITLE STATEMENT | |
Title | Hindu dharm: Bharatiya drishti |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. | |
Place of publication, distribution, etc. | New Delhi |
Name of publisher, distributor, etc. | Vani |
Date of publication, distribution, etc. | 2024 |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION | |
Extent | 248p. |
520 ## - SUMMARY, ETC. | |
Summary, etc. | हिंदू धर्म : भारतीय दृष्टि - हिंदू धर्म क्या है, यह एक बड़ा प्रश्न है। आज जरूरी है कि हिंदू धार्मिक चिंतन की उपलब्धियों और विडंबनाओं को एक विस्तृत भारतीय फलक पर समझा जाए। हजारों साल से प्राचीन ऋषियों, कवियों- दार्शनिकों और सुधारकों ने रूढ़ियों से टकराकर इस धर्म को किस तरह नया-नया अर्थ दिया, हिंदुओं की ईश्वर के प्रति आस्था आमतौर पर कितनी विविध, उदार और सुंदर कल्पनाओं से समन्वित है, यह हिंदू धर्म : भारतीय दृष्टि पढ़कर जाना जा सकता है। हिंदू धर्म की महान परंपराओं को औपनिवेशिक सोच के पश्चिमी विद्वानों ने इकहरेपन में देखा तो 21वीं सदी में वे परंपराएं उपभोक्तावाद और राजनीतिक चिह्नों में सिकुड़ गईं। यह पुस्तक दिखाती है कि उच्च मूल्यों का स्थान किस तरह मौज-मस्ती और धर्मांधता ने ले लिया, जबकि हिंदू धर्म का केंद्रीय स्वप्न सांस्कृतिक मानवतावाद है। इस पुस्तक को पढ़ना सत्य की नई खोज में लगना है। ★★★ इस युग के सवाल हैं, क्या धर्म के प्रति संकुचित दृष्टियों को वर्तमान सभ्यता के खोखलेपन के रूप में देखा जा सकता है, क्या यह धर्म का अपने उच्च गुणों से अंतिम तौर पर प्रस्थान है, अर्थात क्या अब लोग वस्तुतः धर्म की आतिशबाजी के बावजूद धार्मिक नहीं रह गए हैं–क्या धर्म अब एक नाट्यशास्त्र है? हम बड़े शहरों को देख सकते हैं, जहां विभिन्न धर्मों और मतों के लोग अच्छे पड़ोसी की तरह लंबे समय से रहते आए हैं। वैश्वीकरण ने शहरों की धार्मिक-जातीय विविधता बढ़ाई है, लेकिन चिंताजनक है कि इन शहरों में 'खंडित अस्मिता की राजनीति' धार्मिक-जातीय विविधताओं को अंतर्शत्रुताओं में बदल रही है। इसलिए नगरीकरण और संपूर्ण विकास के समक्ष यह एक बड़ी चुनौती है कि सामाजिक सौहार्द की कैसे वापसी हो। नगर सभ्य नहीं कहे जा सकते, यदि वहां शांति और सौहार्द न हो, कलाओं और साहित्य से प्रेम न हो और ‘दूसरों' से प्रेम न हो। हाल के दशकों में धर्म, राष्ट्र-राज्य और न्याय का अर्थ एक भारी विपर्यय का शिकार हुआ है। धार्मिक विद्वेष के प्रचार के कारण अमानवीयता चरम पर पहुंच गई है। कुप्रथाएं लौटी हैं। अंधविश्वास बढ़े हैं। झूठ एक उद्योग बन गया है। ऐसी स्थिति में धर्म, धार्मिक छवियों और धार्मिक परंपराओं को खुले दिमाग से समझना जरूरी है। निःसंदेह भारत के लोगों के स्वप्न उनकी स्मृतियों से अधिक महान हैं। देखा जा सकता है कि हजारों साल में हिंदू धार्मिक परंपराओं ने वस्तुतः सांस्कृतिक मानवतावाद की रचना की है, जो सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से एक भिन्न मामला है। उसके अंतर्विरोधों और उपलब्धियों को जानना चाहिए। स्वतंत्रता स्वायत्तता, विविधता और उच्च मूल्यों के लिए निर्भय होकर बोलना चाहिए। यह थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि शिक्षित वर्ग के बहुत से लेखक, बुद्धिजीवी और आम लोग सत्ता की राजनीति का ईंधन बनते जा रहे हैं। फिर भी हमें जीवन में अनुभव, तर्क और कल्पनाशीलता के लिए स्पेस बनाना होगा, अगर अपनी मानवीय पहचान खोना नहीं चाहते। अंततः यहां से देखने की जरूरत है कि हम कैसी पृथ्वी चाहते हैं— |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name entry element | Literature-Hindi |
9 (RLIN) | 11494 |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name entry element | Miscellaneous Literature- Criticism- Critic Literature |
9 (RLIN) | 11495 |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) | |
Source of classification or shelving scheme | Dewey Decimal Classification |
Koha item type | Books |
Date last seen | Total Checkouts | Full call number | Barcode | Price effective from | Koha item type | Lost status | Source of classification or shelving scheme | Damaged status | Not for loan | Withdrawn status | Home library | Current library | Date acquired | Cost, normal purchase price |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
2025-07-02 | H 891.4308 SHA | 180741 | 2025-07-02 | Books | Not Missing | Dewey Decimal Classification | Not Damaged | Gandhi Smriti Library | Gandhi Smriti Library | 2025-07-02 | 595.00 |