Shasiton ki rajniti (Record no. 358591)

MARC details
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003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER
control field OSt
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020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
International Standard Book Number 9789369446414
040 ## - CATALOGING SOURCE
Transcribing agency AACR-II
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number H 321.8 CHA
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME
Personal name Chatterjee, Partha
9 (RLIN) 11468
245 ## - TITLE STATEMENT
Title Shasiton ki rajniti
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC.
Place of publication, distribution, etc. New Delhi
Name of publisher, distributor, etc. Vani
Date of publication, distribution, etc. 2025
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Extent 191p.
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc. पार्थ चटर्जी की यह रचना ‘शासितों की राजनीति’ लोकतन्त्र की बनावट और इस व्यवस्था में शासित होने वाली जनता के बीच बने विरोधाभास को विश्लेषित करती है। भारतीय राजनीति की यह कालजयी रचना भारतीय होती हुई राजनीतिक सिद्धान्त का एक घोषणापत्र भी है। पार्थ चटर्जी के मुताबिक़, आधुनिक पश्चिमी समाजों के तजुर्बां पर आधारित पॉलिटिकल थ्योरी के लिए पूरा समाज ही नागरिक समाज है। लेकिन भारत के लोकतान्त्रिक ज़मीन पर यह कथन कारगर साबित नहीं होता है। क्योंकि समाज का बहुत बड़ा हिस्सा ऐसा भी है जो आधुनिकता और नागरिकता के दायरे के बाहर ही रह जाता है। जिनके लिए पार्थ चटर्जी राजनीतिक समाज की अवधारणा का प्रयोग करते हैं। पार्थ चटर्जी की इस अवधारणा ने लोकप्रिय सम्प्रभुता का विचार ही परिवर्तित कर दिया है। राष्ट्र का आधुनिक रूप सार्वभौमिक और विशिष्ट दोनों है। सार्वभौमिक आयाम का प्रतिनिधित्व करते हुए सबसे पहले, आधुनिक राज्य में सम्प्रभुता के मूल ठिकाने की शिनाख़्त लोगों के विचार से की जाती है। एक राष्ट्र द्वारा गठित राज्य में नागरिकों के विशिष्ट अधिकारों को सुनिश्चित करके इसे साकार रूप दिया जा सकता है। इस प्रकार, राष्ट्र-राज्य आधुनिक राज्य का विशेष और सामान्य रूप बन गया। आधुनिक राज्य में अधिकारों के बुनियादी ढाँचे को स्वतन्त्रता और समानता के दोहरे विचारों द्वारा परिभाषित किया गया था। लेकिन स्वतन्त्रता और समानता अक्सर विपरीत दिशाओं में खींची जाती हैं। इसलिए, दोनों के बीच मध्यस्थता करनी पड़ी, समुदाय की जगह वह थी जहाँ विरोधाभासों को पूरी बिरादरी के स्तर पर हल करने की कोशिश की जाती थी। सम्पत्ति का आयाम कमोबेश उदार हो सकता है और समुदाय के आयाम के साथ कमोबेश समुदायवादी हो सकते हैं। लेकिन यहाँ सम्प्रभु और सजातीय राष्ट्र-राज्य की विशिष्टता के भीतर आधुनिक नागरिकता के सार्वभौमिक आदर्शों को महसूस किया जाना अपेक्षित था।
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical term or geographic name entry element Polity-India
9 (RLIN) 11469
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical term or geographic name entry element Democracy
9 (RLIN) 11470
710 ## - ADDED ENTRY--CORPORATE NAME
Corporate name or jurisdiction name as entry element Singh, Kunwar Pranjal
9 (RLIN) 11471
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Source of classification or shelving scheme Dewey Decimal Classification
Koha item type Books
Holdings
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2025-07-02   H 321.8 CHA 180843 2025-07-02 Books Not Missing Dewey Decimal Classification Not Damaged     Gandhi Smriti Library Gandhi Smriti Library 2025-07-02 695.00

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