MARC details
000 -LEADER |
fixed length control field |
03857nam a22002177a 4500 |
003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER |
control field |
OSt |
005 - DATE AND TIME OF LATEST TRANSACTION |
control field |
20250620113032.0 |
008 - FIXED-LENGTH DATA ELEMENTS--GENERAL INFORMATION |
fixed length control field |
250620b |||||||| |||| 00| 0 eng d |
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER |
International Standard Book Number |
9789385593710 |
040 ## - CATALOGING SOURCE |
Transcribing agency |
AACR-II |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER |
Classification number |
H 491.4 OJH |
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME |
Personal name |
Ojha, Gauri Shankar Heera Chand |
9 (RLIN) |
11282 |
245 ## - TITLE STATEMENT |
Title |
Bharatiya prachin lipimala |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. |
Place of publication, distribution, etc. |
Jhodpur |
Name of publisher, distributor, etc. |
Rajasthni Granthagar |
Date of publication, distribution, etc. |
2024 |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION |
Extent |
414p. |
520 ## - SUMMARY, ETC. |
Summary, etc. |
एशिआटिक सोसाइटी बंगाल के द्वारा कार्य आरंभ होते ही कई विद्धान अपनी रूचि के अनुसार भिन्न-भिन्न विषयों के शोध में लगे कितने एक विद्धानों ने यहां के ऐतिहासिक शोध में लग कर प्राचीन शिलालेख, दानपत्र और सिक्कों का टओलना शुरू किया, इस प्रकार भारतवर्ष की प्राचीन लिपियों पर विद्धानों की दृष्टि पड़ी, भारत वर्ष जैसे विशाल देश में लेखन शैली के प्रवाह ने लेखकों की भिन्न रूचि के अनुसार भिन्न-भिन्न मार्ग ग्रहण किये थे जिससे प्राचीन ब्राह्यी लिपि से गुप्त, कुटिल, नागरी, शारदा, बंगला, पश्चिमी, मध्यप्रदेशी, तेलुगु-कनड़ी, ग्रंथ, कलिंग तमिल आदि अनेक लिपियां निकली और समय-समय पर उनके कई रूपांतर होते गये जिससे सारे देश की प्राचीन लिपियों का पड़ना कठिन हो गया था; परंतु चाल्र्स विल्किन्स, पंडित राधाकांत शर्मा, कर्नल जेम्स टाड के गुरू यति ज्ञान चन्द्र, डाक्टर बी.जी. बॅबिंगटन, बाल्टर इलिअट, डा. मिल, डबल्यू, एच. वाथन, जेम्स प्रिन्सेप आदि विद्धानों ने ब्राह्यी और उससे निकली हुई उपयुक्त लिपियों को बड़े परिश्रम से पढ़ कर उनकी वर्ण मालाओं का ज्ञान प्राप्त किया, इसी तरह जेम्स प्रिन्सेप, मि. नारिस तथा जनरल कनिंग्हाम आदि विद्धानों के श्रम से विदेशी खरोष्टी लिपि की वर्णमाला भी मालूम हो गई. इन सब विद्धानों का यत्न प्रशंसनीय है परंतु जेम्स प्रिंन्सेप का अगाध श्रम, जिससे अशोक के समय की ब्राह्यी लिपि का तथा खरोष्ठी लिपि के कई अक्षरों का ज्ञान प्राप्त हुआ, विशेष प्रशंसा के योग्य है। |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM |
Topical term or geographic name entry element |
Language-Hindi |
9 (RLIN) |
11283 |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM |
Topical term or geographic name entry element |
Language-Paleography-India |
9 (RLIN) |
11284 |
710 ## - ADDED ENTRY--CORPORATE NAME |
Corporate name or jurisdiction name as entry element |
Jugnu, Srikrishana ed. |
9 (RLIN) |
11285 |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) |
Source of classification or shelving scheme |
Dewey Decimal Classification |
Koha item type |
Books |