Matam (Record no. 356898)

MARC details
000 -LEADER
fixed length control field 04278nam a22002057a 4500
003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER
control field OSt
005 - DATE AND TIME OF LATEST TRANSACTION
control field 20241018145101.0
008 - FIXED-LENGTH DATA ELEMENTS--GENERAL INFORMATION
fixed length control field 241018b |||||||| |||| 00| 0 eng d
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
International Standard Book Number 9789357756389
040 ## - CATALOGING SOURCE
Transcribing agency AACR-II
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number H DEE S
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME
Personal name Deepak, Swadesh
9 (RLIN) 6284
245 ## - TITLE STATEMENT
Title Matam
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC.
Place of publication, distribution, etc. New Delhi
Name of publisher, distributor, etc. Vani
Date of publication, distribution, etc. 2024
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Extent 117p.
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc. सावित्री की शादी अभी पिछले साल ही हुई है। शादी के दिनों में पिता ज़िन्दगी-मौत के बीच लटक रहे थे। सबको खटका था जाने किस वक़्त चल बसें। शादी कम-से-कम एक साल के लिए तो धरी-की-धरी रह जायेगी। उसने सोलह शुक्रवार व्रत रखे थे। पिता मरें तो उसकी शादी के बाद । शादी के बाद जब-जब वह मैके आयी बदमज़गी ही रही। कुछ भी अच्छा घर में पकता न था। शादी के चमकीले कपड़े वैसे-के-वैसे पड़े रहे, पिता मौत के मुँह में हो तो सजना-सँवरना क्या अच्छा लगता है? बड़े भाई का अपना अलग परिवार है। उसकी अपनी कमाई थोड़ी-सी है, माँ-बाप की क्या मदद करता । सावित्री शुरू से उसके ख़िलाफ़ है। भाई का खून सफेद हो जाने की बात वह पहले भी कई दफा कह चुकी है। अब वह बड़ी भाभी को पैनी नज़र से देखते हुए कहती है- "भइया को अब तो ख़र्च करना चाहिए। बाप ज़िन्दा था तब तो कुछ नहीं किया। मरने के बाद तो कुछ शर्म आनी चाहिए। हाय, बाऊजी तो ज़िन्दगी-भर उसके एक पैसे तक को देखने के लिए तरसते रहे।" हालाँकि सच यह है कि नौकरी लगने के आठ साल बाद तक बड़ा क्वाँरा रहा, वेतन की पाई-पाई घर देता था । बाहर कुछ और औरतें पहुँच गयी हैं। स्यापा फिर से शुरू हो गया है। सावित्री कमर कसे दायरे में पहुँच गयी है। कई तरफ़ से 'न, न' की आवाजें आयीं। लेकिन वह कहाँ मानने वाली थी। भरे गले से बोली, “हाय तुम सबको भगवान का वास्ता। मुझे कोई न रोके । मेरा शेर जैसा बाप मर गया। हाय रब्ब जी!" बड़ी भौजाई थोड़ी सीधी है। उसे स्यापे के कायदे-कानून का पूरा ज्ञान नहीं। वह सुर-ताल के साथ दूसरी औरतों का साथ नहीं दे पा रही। एक बड़ी-बूढ़ी ने उसे तीखी आवाज़ में डाँटा - "अजी तुम्हें शर्म आनी चाहिए। उधर देखो, कल की ब्याही सावित्री कैसे ताल के साथ ताल मिलाकर स्यापा कर रही है।" - 'मातम' कहानी से
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical term or geographic name entry element Collection of Stories- Hindi
9 (RLIN) 6569
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical term or geographic name entry element Kahaniyan Sangrah- Hindi
9 (RLIN) 6570
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Source of classification or shelving scheme Dewey Decimal Classification
Koha item type Books
Holdings
Date last seen Total Checkouts Full call number Barcode Price effective from Koha item type Lost status Source of classification or shelving scheme Damaged status Not for loan Withdrawn status Home library Current library Date acquired Cost, normal purchase price
2024-10-18   H DEE S 180440 2024-10-18 Books Not Missing Dewey Decimal Classification Not Damaged     Gandhi Smriti Library Gandhi Smriti Library 2024-10-18 325.00

Powered by Koha