Kala ka jokhim (Record no. 356829)

MARC details
000 -LEADER
fixed length control field 03069nam a22001697a 4500
003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER
control field OSt
005 - DATE AND TIME OF LATEST TRANSACTION
control field 20241014152550.0
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
ISBN 9789360861315
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number H VER N
100 ## - MAIN ENTRY--AUTHOR NAME
Personal name Verma, Nirmal
245 ## - TITLE STATEMENT
Title Kala ka jokhim
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. (IMPRINT)
Place of publication New Delhi
Name of publisher Rajkamal
Year of publication 2024
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Number of Pages 182p.
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc ‘कला का जोखिम’ में शामिल निबन्धों की मूल चिन्ता समाज, सभ्यता और हमारे जीवन में कला की अवस्थिति को लेकर है, हमारे देखने और जीने में उसकी भूमिका को लेकर है। लेकिन ये निबन्ध इसी विषय पर केन्द्रित किसी शोध या चिन्तन-परियोजना का परिणाम नहीं हैं। इनके विषय अलग-अलग हैं, लेकिन वे सब किसी न किसी तरह इस प्रश्न को छूते हैं कि वर्तमान सभ्यता में कला की क्या जगह है? क्या वह जीवन से कट गई है? और क्या जीवन से कटकर उसने अपनी कोई स्वायत्त सत्ता बनाई है? ‘रचना-चिन्तन’, ‘रचनाकार’ और ‘रचना-यात्रा’ शीर्षक खंडों में विभाजित ये निबन्ध संवेदना, मानवीयता, आंतरिक नैतिकता और रचनात्मकता आदि उन मूल्यों को भी रेखांकित करते हैं जिनसे कला का सम्पूर्ण अनुभव बनता है। ‘रचना-चिन्तन’ के निबन्ध जहाँ साहित्य के आज भी प्रासंगिक प्रश्नों को छूते हैं, तो ‘रचनाकार’ खंड के आलेख रेणु, मुक्तिबोध, अज्ञेय, नाबोकोव जैसे साहित्यकारों तथा भारतीय राजनीति के एकायामी, एकस्तरीय, प्रोफ़ेशनल ढाँचे को तोड़ने का प्रयास करने वाले जयप्रकाश नारायण से हमारा परिचय एक नए रूप में कराते हैं। ‘रचना-यात्रा’ के तहत संकलित निर्मल जी का अत्यन्त चर्चित यात्रा-लेख ‘सुलगती टहनी’भी आप यहाँ पढ़ पाएँगे।
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical Term Hindi essays
9 (RLIN) 6332
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Koha item type Books
Holdings
Lost status Home library Current library Date acquired Cost, normal purchase price Full call number Accession Number Koha item type Public Note
  Gandhi Smriti Library Gandhi Smriti Library 2024-10-14 795.00 H VER N 180334 Books 795.00

Powered by Koha