Gulzaar Saab: hazaar rahen mud ke dekheen.... (Record no. 356655)
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020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER | |
International Standard Book Number | 9789357756600 |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER | |
Classification number | JP 821 MIS |
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME | |
Personal name | Mishra, Yatindra |
9 (RLIN) | 653 |
245 ## - TITLE STATEMENT | |
Title | Gulzaar Saab: hazaar rahen mud ke dekheen.... |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. | |
Place of publication, distribution, etc. | New Delhi |
Name of publisher, distributor, etc. | Vani |
Date of publication, distribution, etc. | 2023 |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION | |
Extent | 515p. |
520 ## - SUMMARY, ETC. | |
Summary, etc. | हमको मन की शक्ति देना..., क्या तुमने लिखा है, गुलज़ार ?' केदारनाथ सिंह ने सवाल किया। गुलज़ार - 'जी, मैंने ही लिखा है। केदारनाथ सिंह ने इस पर जवाब दिया- 'मुबारक़!, तुम्हारा काम तुम्हारे नाम से आगे निकल गया है... अब और क्या चाहिए!' 'चाँद के बग़ैर तो तुम गाना लिख ही नहीं सकते...' - आशा भोसले गुलज़ार एक ख़ानाबदोश किरदार हैं, जो थोड़ी दूर तक नज़्मों का हाथ पकड़े हुए चलते हैं और अचानक अफ़सानों की मंज़रनिगारी में चले जाते हैं। फ़िल्मों के लिए गीत लिखते हुए कब डायलॉग की दुनिया में उतर जाते हैं, पता ही नहीं चलता। वे शायरी की ज़मीन से फ़िल्मों की पटकथाएँ लिखते हैं, तो अदब की दुनिया से क़िस्से लेकर फ़िल्में बनाते हैं। अनगिनत नज़्मों, कविताओं, ग़ज़लों और फ़िल्म गीतों की समृद्ध दुनिया है गुलज़ार के यहाँ, जो अपना सूफ़ियाना रंग लिये हुए शायर का जीवन-दर्शन व्यक्त करती है। इस अभिव्यक्ति में जहाँ एक ओर हमें कवि के अन्तर्मन की महीन बुनावट की जानकारी मिलती है, वहीं दूसरी ओर सूफ़ियाना रंगत लिये हुए लगभग निर्गुण कवियों की बोली - बानी के क़रीब पहुँचने वाली उनकी आवाज़ या कविता का स्थायी फक्कड़ स्वभाव हमें एकबारगी उदासी में तब्दील होता हुआ नज़र आता है। इस अर्थ में गुलज़ार की कविता प्रेम में विरह, जीवन में विराग, रिश्तों में बढ़ती हुई दूरी और हमारे समय में अधिकांश चीज़ों के संवेदनहीन होते जाने की पड़ताल की कविता है। इस यात्रा में ऐसे कई सीमान्त बनते हैं, जहाँ हम गुलज़ार की क़लम को उनके सबसे व्यक्तिगत पलों में पकड़ने का जतन करते हैं। एक पुरकशिश आवाज़, समय 'आईना बनाकर पढ़ने वाली जद्दोजहद, कविताओं की शक्ल में उतरी हुई सहल पर झुकी हुई प्रार्थना... उनका सम्मोहन, उनका जादू, उनकी सादगी और उनका मिज़ाज ये सब पकड़ना छोटे बच्चे के हाथों तितली पकड़ने जैसा है। उनके जीवन-लेखन- सिनेमा की यात्रा दरअसल फूलों के रास्ते से होकर गुज़री यात्रा है, जिसमें फैली ख़ुशबू ने जाने कितनी रातों को रतजगों में बदल दिया है। गुलज़ार की ज़िन्दगी के सफ़रनामे के ये रतजगे उनके लाखों प्रशंसकों के हैं। आइए, ऐसे अदीब की ज़िन्दगी के पन्नों में उतरते हैं, कुछ सफ़हे पलटते हैं, कुछ बातें सुनते हैं। अपने दौर को हम इस तरह भी साहित्य और सिनेमा के एक सुख़नवर की नज़र से देखते हैं.... |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name entry element | Cinema |
9 (RLIN) | 5865 |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name entry element | Biography |
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650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name entry element | Non-fiction |
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942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) | |
Koha item type | Books |
Withdrawn status | Lost status | Damaged status | Not for loan | Home library | Current library | Date acquired | Total checkouts | Full call number | Barcode | Date last seen | Price effective from | Koha item type |
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Not Missing | Not Damaged | Gandhi Smriti Library | Gandhi Smriti Library | 2024-09-26 | JP 821 MIS | 180281 | 2024-09-26 | 2024-09-26 | Books |