Bhakti andolan or uttar-dharmik sankat (Record no. 356566)

MARC details
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003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER
control field OSt
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020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
International Standard Book Number 9789355188892
040 ## - CATALOGING SOURCE
Transcribing agency AACR-II
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number H 891.43 SHA
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME
Personal name Shambhunath
9 (RLIN) 5608
245 ## - TITLE STATEMENT
Title Bhakti andolan or uttar-dharmik sankat
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC.
Place of publication, distribution, etc. New Delhi
Name of publisher, distributor, etc. Vani
Date of publication, distribution, etc. 2023
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Extent 539p.
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc. भक्ति आंदोलन और उत्तर- धार्मिक संकट में शंभुनाथ ने भक्ति काव्य को भारतीय उदारवाद के एक आध्यात्मिक इंद्रधनुष के रूप में देखा है और उसे 'असहमति के साहित्य' के रूप में उपस्थित किया है। इसमें तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब और पूर्वी भारत के भक्त, संत और सूफी कवियों की सांस्कृतिक बहुस्वरता को उजागर करते हुए कबीर, सूरदास, मीरा, जायसी और तुलसीदास के योगदान का विस्तृत पुनर्मूल्यांकन है। भक्त कवि रामायण-महाभारत और अश्वघोष- कालिदास के बाद न सिर्फ भारतीय साहित्य को नया उत्कर्ष प्रदान करते हैं और सांस्कृतिक जागरण के अभूतपूर्व दृश्य उपस्थित करते हैं, बल्कि लोकभाषाओं को विकसित करते हुए भारतीय जातीयताओं की बुनियाद रखने का काम भी करते हैं। उन्होंने संपूर्ण सृष्टि से प्रेम का अनुभव किया था और भारत को जोड़ा था। इन मुद्दों पर विचार करते हुए शंभुनाथ ने भक्ति आंदोलन को धार्मिक सुधार के साथ भारत के लोगों की साझी जिजीविषा के रूप में देखा है। भक्ति आंदोलन के नए अध्ययन का एक विशेष तात्पर्य है, खासकर जब हर तरफ व्यापक बौद्धिक-सांस्कृतिक क्षय और ‘पोस्ट-रिलीजन' के दृश्य हैं। देश फिर आत्मविस्मृति के दौर से गुजर रहा है। शंभुनाथ ने दिखाया है कि 7वीं सदी से द्रविड़ क्षेत्र में शुरू हुआ भक्ति आंदोलन 'हता 'जाति' की इस्लाम के विरुद्ध प्रतिक्रिया न होकर किस तरह धार्मिक जड़ता, जाति-भेदभाव, वैभव प्रदर्शन और जीवन की कई अन्य बड़ी समस्याओं को उठाता है। भक्त कवि एक ऐसे ईश्वर का द्वार खोलते हैं, जिससे मानवता का सौंदर्य प्रवेश कर सके। धर्म उच्च मूल्यों का स्रोत बने । अ-पर का विस्तार दलितों, स्त्रियों और आदिवासियों तक हो, क्योंकि ‘पर’ का कृत्रिम निर्माण सभी हिंसाओं की जननी है। इस पुस्तक में यह भी दिखाया गया है कि कई भक्तों -सूफियों को किस तरह उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था। भक्ति आंदोलन और उत्तर- धार्मिक संकट में शंभुनाथ भक्ति काव्य को समझने की एक नई दृष्टि सामने लाते हैं जो नायक पूजा, शुद्धतावाद और अंघ - बुद्धिवाद से भिन्न समावेशी आलोचनात्मकता पर आधारित है।
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical term or geographic name entry element Criticism
9 (RLIN) 5609
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Source of classification or shelving scheme Dewey Decimal Classification
Koha item type Books
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