Agam bahai dariyav (Record no. 355880)
[ view plain ]
000 -LEADER | |
---|---|
fixed length control field | 04114nam a22001937a 4500 |
003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER | |
control field | OSt |
005 - DATE AND TIME OF LATEST TRANSACTION | |
control field | 20240607051207.0 |
008 - FIXED-LENGTH DATA ELEMENTS--GENERAL INFORMATION | |
fixed length control field | 240607b |||||||| |||| 00| 0 eng d |
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER | |
International Standard Book Number | 9789395737937 |
040 ## - CATALOGING SOURCE | |
Transcribing agency | AACR-II |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER | |
Classification number | H MUR S |
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME | |
Personal name | Murti, Shiv |
9 (RLIN) | 3837 |
245 ## - TITLE STATEMENT | |
Title | Agam bahai dariyav |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. | |
Place of publication, distribution, etc. | New Delhi |
Name of publisher, distributor, etc. | Rajkamal |
Date of publication, distribution, etc. | 2023 |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION | |
Extent | 586p. |
520 ## - SUMMARY, ETC. | |
Summary, etc. | कृषिप्रधान कहे जाने वाले देश भारत का एक आम किसान जिसके पास सौ-दो सौ बीघा जमीन, लाइसेंसी बन्दूकें-राइफलें और पुलिस-फौज में नौकरी पाए बेटे नहीं हैं, अपने दुख में अकेला और असहाय एक ऐसा जीव है, जो लगता है पूरी व्यवस्था का देनदार है। राजनीति के लिए वोट-बैंक और नौकरशाही के लिए एक दुधारू गाय। थाने, तहसीलें, अदालतें, अमीन, पटवारी, वकील, गन्ना मिलें, आढ़ती, कर्जे और खर्चे, राजनीति और नौकरशाही, ये सब मिलकर एक ऐसा महाजाल बुनते हैं जिसके निशाने पर किसान ही होता है। यह अगम दरियाव उसी भारतीय किसान के दुखों का है, बेशक उसकी वह ताकत भी यहाँ मौजूद है जो राष्ट्रीय उपेक्षा के आखिरी सिरे पर पड़े रहने के बावजूद उसे बचाए हुए है—उसकी संस्कृति, उसकी मनुष्यता और उसका जीवट। शिवमूर्ति हमारे समय के ग्रामीण जीवन के समर्थ किस्सागो हैं, और ‘अगम बहै दरियाव’ उनकी अनुभव-सम्पदा और कथा-कौशल का शिखर है। कल्याणी नदी के कंठ पर बसे बनकट गाँव की इस कथा में समूचे उत्तर भारत के किसानों और मजदूरों की व्यथा समोयी हुई है। इस दुनिया में सब शामिल हैं—अगड़े, पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक सब। और सब इसमें बराबर के हिस्सेदार हैं। जिन्दगी के विविध रंगों, छवियों और गीत-संगीत से समृद्ध इस उपन्यास में ‘लोक’ की छटा कदम-कदम पर दृश्यमान है, और ग्रामीण जीवन की शान्त सतह के नीचे खदबदाती लोभ-लालच, प्रेमप्यार, छल-प्रपंच और त्याग-बलिदान की धाराएँ भी जो जमाने से बहती आ रही हैं। कथा-साहित्य में लम्बे समय से अनुपस्थित किसान को यह उपन्यास वापस एक त्रासदी-नायक के रूप में केन्द्र में लाता है। देश के नीति-नियंता चाहें तो इस आख्यान को एक ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ की तरह भी पढ़ सकते हैं। |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name entry element | Hindi Novel |
9 (RLIN) | 3838 |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) | |
Source of classification or shelving scheme | Dewey Decimal Classification |
Koha item type | Books |
Withdrawn status | Lost status | Source of classification or shelving scheme | Damaged status | Not for loan | Home library | Current library | Date acquired | Cost, normal purchase price | Total checkouts | Full call number | Barcode | Date last seen | Price effective from | Koha item type |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
Not Missing | Dewey Decimal Classification | Not Damaged | Gandhi Smriti Library | Gandhi Smriti Library | 2024-06-07 | 1195.00 | H MUR S | 169730 | 2024-06-07 | 2024-06-07 | Books |