Arkadipt (Record no. 355802)

MARC details
000 -LEADER
fixed length control field 04080nam a22001937a 4500
003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER
control field OSt
005 - DATE AND TIME OF LATEST TRANSACTION
control field 20240603115232.0
008 - FIXED-LENGTH DATA ELEMENTS--GENERAL INFORMATION
fixed length control field 240603b |||||||| |||| 00| 0 eng d
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
International Standard Book Number 9788119028450
040 ## - CATALOGING SOURCE
Transcribing agency AACR-II
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number H PRI U
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME
Personal name Priyamvada, Usha
9 (RLIN) 3605
245 ## - TITLE STATEMENT
Title Arkadipt
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC.
Place of publication, distribution, etc. New Delhi
Name of publisher, distributor, etc. Rajkamal
Date of publication, distribution, etc. 2023
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Extent 311p.
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc. अर्कदीप्त अपने आप में डूबा, बहुत थोड़े में सन्तुष्ट, और जीवन को नितान्त अपनी दृष्टि से देखनेवाला बच्चा था; जिसे कुछ नहीं चाहिए था, जो मिलता उसी में सन्तुष्ट। फिर उसके जीवन में प्रेम आया, जिसने उसके अन्तस को उस ऊर्जा से भरना शुरू किया; जो उसके अस्तित्व की वास्तविक ज़रूरत थी। पूर्ण प्रेम, अकुंठ समर्पण, सर्वांग साहचर्य। सौदामिनी और अर्कदीप्त ने परदेसी भूमि के मुक्त वातावरण में एक दूसरे के मन, आत्मा और देह में वह स्थान पाया जो नियति ने उन्हें उपहार की तरह दिया था। लेकिन सौदामिनी जब अपने अतीत से उत्पन्न कमिटमेंट फ़ोबिया के चलते कुछ पल अज्ञात में विलीन हुई; तो अर्कदीप्त अपने इस पहले प्रेम की टूटन से बिखरा, जला और फिर राख हो गया जिसे परिवार और शुभचिन्तकों ने परम्परा को सौंप दिया। लेकिन उसने दुख के सूरज को बुझने नहीं दिया, उसे अपनी आत्मा के क्षितिज पर अक्षुण्ण रहने दिया और फिर, जैसे ब्रह्मांड के आदेश पर, उसे अपनी खोई दिशा के संकेत मिलने लगे, और वह सब कुछ जहाँ का तहाँ छोड़कर चला गया; सबके लिए विलुप्त। यह वरिष्ठ कथाकार उषा प्रियम्वदा का नया उपन्यास है। जीवन के सूक्ष्मतम विवरणों से समृद्ध और उन्हीं के बीच आत्मोपल‍ब्धि‍ के निर्णायक पलों को रेखांकित करती हुई एक समर्थ, परिपक्व लेखनी की रचना। यहाँ उपन्यास विधा अपने पूरेपन में घटित होती प्रतीत होती है। भाषा के उदार और सजीव विस्तार में कथा को अपने सम्पूर्ण में खुलने का अवकाश देती हुई। भारत, जर्मनी, डेनमार्क और अमेरिका के कई शहरों में फैली यह कथा प्रेम के विराट को उद्घाटित करती है और अनेकानेक पात्रों के माध्यम से जीवन के तमाम पहलुओं से होकर गुज़रती है।
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical term or geographic name entry element Hindi Novel
9 (RLIN) 3606
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Source of classification or shelving scheme Dewey Decimal Classification
Koha item type Books
Holdings
Withdrawn status Lost status Source of classification or shelving scheme Damaged status Not for loan Home library Current library Date acquired Cost, normal purchase price Total checkouts Full call number Barcode Date last seen Price effective from Koha item type
  Not Missing Dewey Decimal Classification Not Damaged   Gandhi Smriti Library Gandhi Smriti Library 2024-06-03 995.00   H PRI U 169722 2024-06-03 2024-06-03 Books

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