Bharat Ka Sampurna Itihaas (Record no. 346944)

MARC details
000 -LEADER
fixed length control field 05486nam a22001817a 4500
003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER
control field 0
005 - DATE AND TIME OF LATEST TRANSACTION
control field 20220901120952.0
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
International Standard Book Number 9789380801490
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number H 954.022 SRI
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME
Personal name Mishra, Bhartesh kumar
245 ## - TITLE STATEMENT
Title Bharat Ka Sampurna Itihaas
Remainder of title V.1
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC.
Place of publication, distribution, etc. Delhi
Name of publisher, distributor, etc. Shivank
Date of publication, distribution, etc. 2022
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Extent 368 p.
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc. हमारी संस्कृति बहुत ही सरल, सरस और शीघ्रता से आत्मसात होने वाली है साथ ही विस्तृत एवं अगाध भी है जिसमें हजारों तूफान आने के बाद हिलोर तक नहीं उठती हमारी संस्कृति जीओ और जीने दो' के साथ हर आगन्तुक को 'अतिथि देवो भवः' के भाव से हृदय सम्मान और आश्रय देने वाली रही। इसी आदर्शता के कारण यहाँ समय-समय पर ढेरों संस्कृति और सभ्यताओं का उदय हुआ। यह बात पृथक है कि वे स्वयं ही अपनी अनीतियों के कारण काल-कलित होती गई। आप देख रहे हैं कि मुसलमान ईसाई आज भी यहाँ गर्व से रहता आ रहा है। क्या इसे हमारी संस्कृति की उदारता नहीं कहेंगे? हमारी संस्कृति का सूत्र है दूसरों को सुखी देखकर प्रसन्न होना भारतीय सीधा सच्चा होता है, कायर कदापि नहीं। हाँ, जब पानी ही सिर से गुजरने लग जाये तो फिर काल ही न सामने आये उसे भी ललकारने में कदापि भूल नहीं करता। कहने का तात्पर्य है कि हमारी सहनशक्ति भी गम्भीर है। आश्चर्य होता है जिनको हमने सम्मान, सत्कार, आश्रय दिया उन्होंने ही हमारी विरासत पर हाथ डाला, हमारे साथ अपमानजनक व्यवहार किये, हमारी देव संस्कृति को खंडित किया यानि हमारे ही देश में हमारा ही अपमान फिर भी आज हम सभी धर्मों को गले लगाते गर्व महसूस करते हैं क्योंकि हमारी संस्कृति उदार विश्वबन्धुत्व के भाव से ओतप्रोत है जो बात संस्कृति की चल उही है इसलिये वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कहना चाहूँगा कि आतंकवाद के माध्यम से देश में जो अप्रत्यक्ष मुहिम छेड़ी हुई है यह भारतीय संस्कृति के लिए घातक है। इसके माध्यम से भवनों, प्रतिष्ठानों एवं धार्मिक स्थलों को ही नष्ट नहीं किया जा रहा है बल्कि अभी तक लाखों बेगुनाहों को अपने बम और गोलियों का निशाना बनाकर मौत के मुँह में धकेला जा चुका है। सरकारों को अस्थिर करने की उनकी खुली चुनौती है। मजे की बात तो यह है कि सारे के सारे आतंकवादी अभी तक एक ही कौम के निकले। इन्हें भारत में कौन मदद करता है? कहाँ रहते हैं? क्या ये लोग हिन्दू देवालयों में शरण पाते हैं अथवा तंग भीड़-भाड़ वाली मुस्लिम बस्तियों में? हम असमर्थ अथवा असंगठित भी नहीं है फिर भी इस समस्या से निजात नहीं पा रहे हैं। इसका सीधा अर्थ है कहीं न कहीं कोई असमर्थता अथवा सुरक्षा व्यवस्था में ढोल-मोल है इसलिये हर भारतीय नागरिक का दायित्व बनता है कि वह ऐसी हरकतों पर गिद्धदृष्टि रख सरकार का सहयोग करे
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical term or geographic name entry element Itihaas
700 ## - ADDED ENTRY--PERSONAL NAME
Personal name Tirpati, Sacchidanand
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Koha item type Books
Holdings
Withdrawn status Lost status Damaged status Not for loan Home library Current library Date acquired Cost, normal purchase price Total checkouts Full call number Barcode Date last seen Price effective from Koha item type
  Not Missing Not Damaged   Gandhi Smriti Library Gandhi Smriti Library 2022-09-01 2995.00   H 954.022 SRI 168489 2022-09-01 2022-09-01 Books

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