Bhartiya swatantrata sangraam ke prerak Swami Dayanand (Record no. 346888)

MARC details
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003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER
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005 - DATE AND TIME OF LATEST TRANSACTION
control field 20220812192336.0
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
International Standard Book Number 9789393285010
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number H 954.035092
Item number SUB
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME
Personal name Subedar
245 ## - TITLE STATEMENT
Title Bhartiya swatantrata sangraam ke prerak Swami Dayanand
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC.
Place of publication, distribution, etc. New Delhi
Name of publisher, distributor, etc. Shivank prakeshan
Date of publication, distribution, etc. 2022.
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Extent 201p.
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc. यह पुस्तक युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी होगी तथा संग्रहणीय भी होगा। जिस समय भारतवर्ष राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, शारीरिक विकृतियों से परिपूर्ण होकर विदेशियों के शासन में सदियों से अपमान सहता आ रहा था, धर्म के नाम पर पाखण्ड, अत्याचार और व्यभिचार का बोल-बाला था, देवदासियों की विवशता भरी चीख और पुकार मंदिरों में गूँजकर शांत हो जाती थी, बाल विधवाओं के रुदन को सुनकर पत्थर भी द्रवीभूत हो जाता था, समाज का एक विशाल वर्ग अछूत मानकर तिरस्कृत किया जाता था, वेद परमात्मा का असीम ज्ञान, विज्ञान, कला, संस्कृति, धर्म, नीति की शिक्षा देने वाला विश्व का अनुपम ग्रंथ रत्न को गड़रियों के गीत कहकर अपमानित किया जा रहा था, भोली-भाली जनता को धर्म परिवर्तन कराने का षड़यंत्र चल रहा था, ऐसे निराशा भरा घनघोर अन्धकार के समय भारतवर्ष के क्षितिज पर देदिप्यमान नक्षत्र का उदय होता है, जिनका नाम मूलशंकर से दयानन्द सरस्वती रखा जाता है। यह वही महामानव है जिसने 22 वर्ष की अवस्था में सारे संसार के सुखों का परित्याग कर संन्यास ग्रहण किया। योगाभ्यास और कठिन साधना करके ईश्वर का ज्ञान प्राप्त किया। जब देश की विषम दुर्दशा देखी तब मुक्ति और समाधि के आनन्द को छोड़कर देश की बुराइयों को दूर करने में लग गया। महर्षि दयानन्द ने ही सर्वप्रथम स्वाधीनता का नारा दिया। स्वामी दयानन्द सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना कर देश की स्वतंत्रता में एक अभूतपूर्व योगदान दिया। 15 अगस्त 1947 को जिस स्वाधीनता यज्ञ की पूर्णाहुति हुई उसके सूत्रधार महर्षि दयानन्द जी थे और अन्तिम आहुति महात्मा गाँधी ने डाली।<br/><br/>महर्षि दयानन्द ने 1874 ई. में सत्यार्थ प्रकाश" के आठवें समुल्लास में स्वराज्य की घोषणा करते हुए लिखा है- "आर्यावर्त में भी आर्यों का अखण्ड, स्वतंत्र, स्वाधीन, निर्भय राज्य इस समय नहीं है। जो कुछ है सो भी विदेशियों से पादाक्रान्त हो रहा है। कुछ थोड़े राजा स्वतंत्र हैं। दुर्दिन जब आता है तब देशवासियों को अनेक प्रकार का दुख भोगना पड़ता है। कोई कितना ही करे परन्तु जो स्वदेशी राज होता है वह सर्वोपरि उत्तम होता है। भारत भारतवासियों के लिए है इसके प्रथम उद्घोषक महर्षि दयानन्द थे।<br/><br/>इसी प्रकार एक स्थान पर देश प्रेम की भावना को जागृत करते हुए लिखते हैं- "जिस देश के पदार्थों से अपना शरीर बना, अब भी पालन होता है और आगे भी होगा, उसकी उन्नति तन, मन, धन से सब जन मिलकर करें।"<br/><br/>महर्षि ने गम्भीरता से उन कारणों पर विचार किया जिससे भारतवासी पराधीन हुए। महर्षि इस तथ्य पर पहुँचे कि मानसिक दासता के कारण ही भारत राजनीतिक तथा आर्थिक दासता से बंधा है। अतः उन्होंने वैदिक धर्म के माध्यम से आत्मिक, शारीरिक और सामाजिक उत्थान की पृष्ठभूमि तैयार की यही पृष्ठभूमि भारतवर्ष की आजादी का आधार स्तम्भ बना।<br/><br/>स्वामी जी अपने प्रवचनों और लेखों के माध्यम से भारतीयों के स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए प्रेरित करते रहे। दानापुर (पटना, बिहार) में जोन्स नामक एक अंग्रेज से वार्तालाप करते हुए स्वामी जी बोले – “यदि भारतवासियों में एकता तथा सच्ची देशभक्ति के भाव उत्पन्न हो जायें तो विदशी शासकों को अपना बोरिया-बिस्तर उठाकर तुरन्त जाना पड़ेगा।"<br/><br/>1857 की असफल क्रान्ति के बाद जब पुनः स्वाधीनता की लड़ाई लड़ी गयी तो उसके मुख्य कार्यकर्त्ता आर्य समाजी ही थे, जिनका प्रेरणा का समग्र स्रोत महर्षि दयानन्द थे ।<br/><br/>महर्षि दयानन्द सरस्वती की राष्ट्रीय चेतना को जन मानव में जागृत करने की दिशा में लेखक का प्रयास सराहनीय एवं श्लाघनीय है। इनका गहन अध्ययन एवं स्वस्थ चिन्तन का दिग्दर्शन हमें इस पुस्तक में देखने को मिलता है। वैदिक संस्कृति और देशभक्ति का संदेश पाठकों के लिए प्रेरणादायक सिद्ध होगा।
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical term or geographic name entry element Swami Dayanand, the inspiration of Indian freedom struggle
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Koha item type Books
Holdings
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  Not Missing Not Damaged   Gandhi Smriti Library Gandhi Smriti Library 2022-08-12 795.00   H 954.035092 SUB 168418 2022-08-12 2022-08-12 Books
  Not Missing Not Damaged   Gandhi Smriti Library Gandhi Smriti Library 2023-07-18 759.00   H 954.035092 SUB 168882 2023-07-18 2023-07-18 Books

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