Saal Chaurasi (84) (Record no. 346517)

MARC details
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003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER
control field 0
005 - DATE AND TIME OF LATEST TRANSACTION
control field 20220430205158.0
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
International Standard Book Number 9788195003778
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number H KAU P
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME
Personal name Kaur, Pritpal
245 ## - TITLE STATEMENT
Title Saal Chaurasi (84)
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC.
Place of publication, distribution, etc. Delhi
Name of publisher, distributor, etc. Vidhya
Date of publication, distribution, etc. 2022
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Extent 184 p.
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc. ‘प्रितपाल कौर' का अगला उपन्यास 'साल चौरासी' की प्रकाशन पूर्व पांडुलिपि पढ़ने का अवसर मिला। जब 84 का आतंक दिल्ली पर नाजिल हुआ था तो मैं दिल्ली के सफदरजंग एनक्लेव में किराए के घर में रहता था। मेरे घर के आसपास सिखों पर आतंक बहुत ही भयानक था। प्रितपाल का उपन्यास दिल्ली की जिस भौगोलिक सीमा को केंद्र में रहकर लिखा गया है, वह सब मेरे उस घर के आसपास के ही मुहल्ले हैं। आर के पुरम, सरोजिनी नगर, धौलाकुआं के आसपास का खूनखराबा मैंने खुद देखा है। एक बार जब कंप्यूटर खोला तो करीब पौने दो सौ पृष्ठ की किताब पढ़कर ही उठा। दर्द का वर्णन करना आसान नहीं होता। लोग आगजनी और मौत के खून का विशद बयान करने लगते हैं। प्रितपाल ने प्रिंसिपल सोढ़ी की मौत का अहसास तो कराया लेकिन उनको मरते या जलते नहीं दिखाया, उनकी मौत का डिटेल नहीं दिखाया। हालांकि पूरे उपन्यास में उनकी मौत की दहशत दिलजीत कौर के झोले में संभाल कर रखी हुई पगड़ी, सोढ़ी साहब मौत के हश्र को भूलने नहीं देती। जब अपराधी लोग सोढी सर को कार से खींच रहे थे तो उनकी पगड़ी गिर गयी थी जिसको दिलजीत ने उठाकर अपने बैग में रख लिया था। जब उनको लगा कि उनको तो अपराधी मार ही डालेंगे तो उन्होंने बच्चों को भागने के लिए कहा। भागकार दिलजीत कौर और उसका भाई एक झाडी में छुप गए थे। वहीं से तनेजा साहब ने उनको बचाया और अपने घर लाये थे। उस काली रात को प्रितपाल ने ठीक वैसे ही अहसास कराया है जैसा कि मैंने आर के पुरम से बरास्ता रिंग रोड, सफदरजंग एन्केल्व की तरफ पैदल आते हुए देखा रास्ते में देखा था। मैं किसी काम से 31 अक्टूबर की शाम को सेक्टर 12 आर के पुरम अपने एक दोस्त के यहाँ गया हुआ था।
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical term or geographic name entry element Fiction
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Koha item type Books
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Withdrawn status Lost status Damaged status Not for loan Home library Current library Date acquired Cost, normal purchase price Total checkouts Full call number Barcode Date last seen Price effective from Koha item type
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