Mithila ka Puratatvik Itihaas (Record no. 346503)

MARC details
000 -LEADER
fixed length control field 04691nam a22001697a 4500
003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER
control field 0
005 - DATE AND TIME OF LATEST TRANSACTION
control field 20220429154010.0
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
International Standard Book Number 9789388789721
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number H 954.123 SIN
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME
Personal name Singh, Akhilesh Kumar
245 ## - TITLE STATEMENT
Title Mithila ka Puratatvik Itihaas
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC.
Place of publication, distribution, etc. Delhi
Name of publisher, distributor, etc. B. R. Publishing
Date of publication, distribution, etc. 2021
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Extent 184 p.
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc. क्षेत्रीय पुरातात्त्विक इतिहास में मिथिला का पुरातत्त्व, विशेषतः मधुबनी एवं दरभंगा से सम्बद्ध अति महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र के विभिन्न स्थलों से दुर्लभ प्राचीन अवशेष मिले है जो राष्ट्रीय क्षेत्र में भी प्रतिनिधित्व करती है। मुख्यतः बलिराजगढ़, तिलकेश्वर स्थान, कमलादित्य स्थान, मुक्तेश्वर स्थान, पस्टन, राजनगर, अंधराठाढ़ी, घनश्यामपुर पंचोभ, मंगरौनी, आदि से विभिन्न ऐतिहासिक जानकारियां मिली है। कालिदास डीह और विद्यापति धरारी विशेष उल्लेखनीय है जहाँ अनेक ऐतिहासिक साक्ष्य मिले है। इन पुरातात्विक स्थलों से अभिलेख, सिक्के, स्मारक तथा स्थापत्य के अन्यान स्रोत मिले है। देशी एवं विदेशी पुरातत्त्वविदों ने अपने अन्वेषण एवं उत्खनन से स्पष्ट कर दिया है कि महत्वपूर्ण पुरातात्विक संपदा इस क्षेत्र में भरे परे है। हिन्दु धर्म के वैष्णव, शैव, शाक्त, नवग्रह, तथा जैन एवं बौद्ध सम्प्रदाय के अवशेष बहुतायत मिले जो इतिहास लेखन के नये आयाम प्रदान करते हैं। अंग्रेजों के समय से ही विवेच्य क्षेत्र में अतीत की सामग्रियों को उजागर किया जाता रहा है, जो अभी तक प्रासंगिक है। इस दिशा में ग्रियर्सन, विजयकांत मिश्र, डी. आर. पाटिल, सीताराम राय आदि-आदि के कार्य स्तुत्य है। साथ ही एस. एन. सिंह, उपेन्द्र ठाकुर, योगेन्द्र मिश्र, विजय ठाकुर एवं जयदेव मिश्र आदि के कार्य मिथिला के संस्कृति को उजागर करता है। आज भी मिथिला क्षेत्र के<br/><br/>पुरावशेष विभिन्न संग्रहालयों में भरे पड़े है। सभी पूर्व कार्यों का अध्ययन कर वर्तमान काल में जो शोध कार्य हुये है उन का अध्ययन कर डॉ. अखिलेश कुमार सिंह ने इस क्षेत्र के पुरावशेषों को इतिहास लेखन के महत्वपूर्ण स्रोत बताया है। पूरे शोध कार्य को लेखक ने सात अध्याय में विभक्त कर नवीनता प्रदान की है। पुरातत्व के छात्रों शोध-प्रज्ञों, शिक्षकों और सामान्य पाठक भी इससे लाभांवित होंगे। पुरातात्त्विक इतिहास में यह पुस्तक नया उपहार है।
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical term or geographic name entry element Excavations (archaeology) India Madhubani
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Koha item type Books
Holdings
Withdrawn status Lost status Damaged status Not for loan Home library Current library Date acquired Total checkouts Full call number Barcode Date last seen Price effective from Koha item type
  Not Missing Not Damaged   Gandhi Smriti Library Gandhi Smriti Library 2022-04-29   H 954.123 SIN 168146 2022-04-29 2022-04-29 Books

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