Kabristan mein panchayat (Record no. 346468)

MARC details
000 -LEADER
fixed length control field 04001nam a22002057a 4500
003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER
control field 0
005 - DATE AND TIME OF LATEST TRANSACTION
control field 20220428155123.0
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
International Standard Book Number 9788171198306
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number H 891.43 SIN
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME
Personal name Singh, Kedarnath.
245 ## - TITLE STATEMENT
Title Kabristan mein panchayat
250 ## - EDITION STATEMENT
Edition statement 3rd ed.
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC.
Place of publication, distribution, etc. Delhi
Name of publisher, distributor, etc. Radhakrishna Prakashan
Date of publication, distribution, etc. 2021
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Extent 135 p.
504 ## - BIBLIOGRAPHY, ETC. NOTE
Bibliography, etc. note ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कवि का विलक्षण गद्य
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc. कब्रिस्तान में पंचायत कवि केदारनाथ सिंह की एक गद्य कृति है-एक कवि के गद्य का एक विलक्षण नमूना जिसमें उसकी सोच, अनुभव और उसके पूरे परिवेश की कुछ मार्मिक छवियाँ मिलेंगी और बेशक वे चिंताएँ भी जो सिर्फ एक लेखक की नहीं हैं। पुस्तक के नाम में जो व्यंग्यार्थ है, वह हमारे समय के गहरे उद्वेलन की ओर संकेत करता है और शायद इस बात की ओर भी कि इस अबोलेपन की हद तक बँटे हुए समय में परस्पर बातचीत के सिवा कोई रास्ता नहीं। यह अबोलापन इतना गहरा है और इतनी दूर तक फैला हुआ कि आज एक माँ और ‘उसके द्वारा रची गई उसकी अपनी ही सृष्टि के बीच एक लंबी फाँक आ गई है। इस पुस्तक के ज़्यादातर आलेख इन्हीं फाँकों या दरारों के बोध से पैदा हुए हैं—फिर वह अक्का महादेवी की पीड़ा-भरी चुनौती हो या एक रहस्यमय दर्द से एक मामूली आदमी का मर जाना ।<br/><br/>इन आलेखों में एक सुखद विविधता मिलेगी, जिसका फलक एक ओर वाक्यपदीयम् से कोलकाता की सड़क पर पड़ी घायल चिड़िया तक फैला है और दूसरी ओर विस्मृत दलित कवि देवेन्द्र कुमार से दलित कविता के पितामह तेलुगू के महाकवि गुर्रम जाशुआ तक । दक्षिण के कुछ कालजयी रचनाकारों पर लिखी गई तलस्पर्शी टिप्पणियाँ इस पुस्तक को एक और विस्तार देती हैं और थोड़ी-सी अखिल भारतीयता भी ।<br/><br/>पारदर्शी और कसी हुई भाषा में लिखे गए ये आलेख कुछ समय पूर्व दैनिक 'हिन्दुस्तान' में क्रमिक रूप से छपे थे और वृहत्तर पाठक-समुदाय द्वारा पढ़े-सराहे गए थे। कुछ नई सामग्री के साथ उन आलेखों को एक जगह एक साथ पढ़ना एक अलग ढंग का अनुभव होगा और शायद एक आवयिक संग्रथन का सूचक भी।
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical term or geographic name entry element Prose
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical term or geographic name entry element गद्य
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Koha item type Books
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