Madhvi: aabhushan se chitka swarnkan (Record no. 346385)

MARC details
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003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER
control field 0
005 - DATE AND TIME OF LATEST TRANSACTION
control field 20220420193701.0
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
International Standard Book Number 9789391277758
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number H NEE A
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME
Personal name Neerav, Amita
245 ## - TITLE STATEMENT
Title Madhvi: aabhushan se chitka swarnkan
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC.
Place of publication, distribution, etc. Delhi
Name of publisher, distributor, etc. Setu
Date of publication, distribution, etc. 2021
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Extent 631 p.
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc. हम अपनी विभिन्न भारतीय भाषाओं में समय-समय पर ऐसे उपन्यासों को पढ़ते आए हैं, जिनके लेखकों ने परम्पराओं से संवाद करना चाहा है, सवाल करना चाहा है और अपने सर्वोत्तम क्षणों में परम्परा का पुनर्मूल्यांकन भी। मराठी में वि.स. खांडेकर के 'ययाति' को, शिवाजी सावन्त के 'मृत्युंजय' को, कन्नड में भैरप्पा के 'पर्व' को ऐसे स्वभाव संस्कार लिये हुए उपन्यासों के रूप में देखा जा सकता है। अमिता नीरव का उपन्यास 'माधवी आभूषण से छिटका स्वर्णकण' मुझे इसी परम्परा की आगे की एक कड़ी के रूप में नजर आता रहा।<br/><br/>'माधवी : आभूषण से छिटका स्वर्णकण' अपनी शाब्दिक अर्थवत्ता में ही एक स्त्री की खण्ड-खण्ड नियति का दस्तावेज है, जिसे अमिता नीरव की लेखनी ने और अधिक प्रामाणिक, मार्मिक, गहरा और श्लेषपूर्ण बना दिया है।<br/><br/>उपन्यास में उसके पात्रों के बीच के संवाद और उन पात्रों की तकलीफ और तनावों का बाहर आते जाना, इन पात्रों का पारस्परिक संवादों के माध्यम से संसार को पहचानना, परखना, मेरे पाठक के कान में फुसफुसाता रहा, दोहराता रहा कि उपन्यास को किसी ऐसे आत्मीय, अन्तरंग स्थल की तरह भी देखा जा सकता है, जहाँ लोग एक-दूसरे के साथ इकट्ठा होते हैं, बतियाते हैं, बहस करते हैं।<br/><br/>अगर यह मान लिया जाए कि उपन्यास की विधा एक ऐसी आत्मीय जगह भी है जहाँ पर बैठकर किसी विशिष्ट किस्म के परिवेश और परिस्थितियों के बीच में रचनाकार, उसके पात्रों और पाठकों के बीच आत्मीय बातचीत होती रहती है तब हमें अमिता नीरव के इस उपन्यास को इस दिशा का एक दिलचस्प, पठनीय और महत्त्वपूर्ण उपन्यास मानना होगा। अपने सामाजिक और सभ्यता-बोध में उतनी ही प्रखर कृति जितनी अपने भाषा-बोध में। पौराणिक परिवेश और पात्रों के अनुकूल खड़ी होती जाती रचनाकार की भाषिक संरचनाएँ रचनाकार के पैशन और परिश्रम से हमारी पहचान करवाती हैं।
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical term or geographic name entry element Fiction
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Koha item type Books
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