Ek sadak ek jagah (Record no. 346231)

MARC details
000 -LEADER
fixed length control field 04036nam a22001697a 4500
003 - CONTROL NUMBER IDENTIFIER
control field 0
005 - DATE AND TIME OF LATEST TRANSACTION
control field 20220407190819.0
020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER
International Standard Book Number 9788194172437
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER
Classification number H DAB
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME
Personal name Dabral, Manglesh.
245 ## - TITLE STATEMENT
Title Ek sadak ek jagah
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC.
Place of publication, distribution, etc. Delhi
Name of publisher, distributor, etc. Setu Prakashan
Date of publication, distribution, etc. 2019
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION
Extent 183 p.
520 ## - SUMMARY, ETC.
Summary, etc. इंटरनेट और संचार क्रांति के व्यापक विस्तार ने जब साहित्य, संस्कृति और विभिन्न ज्ञानानुशासनों का संकुचन कर दिया है, जब हर शहर एक उँगली पर आभासी संसार में उपलब्ध है, तब यात्राओं की प्रासंगिकता का बदल जाना अवश्यंभावी है। ऐसे में यात्रा-वृत्तांतों का यात्रा संस्मरणों के रूप में कायांतरण भी स्वाभाविक है। यह पुस्तक यात्राओं की ऐसी ही स्मृति है। अनदेखी अनजानी जगहों के जो विवरण हैं, वे कवि मंगलेश डबराल की आकांक्षाओं के संदर्भ हैं। इसीलिए इन संस्मरणों में यात्री मंगलेश डबराल का सहयात्री कवि मंगलेश डबराल है। इसे हम भाषा, तथ्य चयन, स्मृति संचयन सबमें देख सकते हैं। ये वृत्तांत उन खिड़कियों की तरह हैं जिनकी मार्फत हम ऐसे सफर पर निकलते हैं जहाँ हर कदम पर एक दुनिया उजागर होती है। यह जगहों और कविताओं के अभिन्न रूप से जुड़े हुए होने की दुनिया है।<br/><br/>ये संस्मरण देश-विदेश की यात्राओं से उद्भूत हैं, जो ज्यादातर कविता पाठों के सिलसिले में हुई हैं। इन संस्मरणों में बहुत खास है मंगलेश डबराल की भाषा । वे जिस जगह की यात्रा करते हैं, उसके वृत्तांत को सिरे से गायब नहीं होने देते, पर वे वृत्तांत स्मृतियों के लिए खाद-पानी सरीखे होते हैं। ये स्मृतियाँ जब भाषा में उतरती हैं तो दुहरी चुनौती का सामना करती हैं। एक स्तर पर वे लेखक की काव्यात्मक क्षमता से ओतप्रोत हैं तो दूसरे स्तर पर कवितापन से बाहर आना विधा की सर्जनात्मक अनिवार्यता हैं। द्वित्वों के बीच संतुलित भाषा ने इन संस्मरणों की आंतरिक लय का निर्माण किया है, उसे गति दी है। यह गति ऐसी है कि हम नदी में नहा कर निकलते हैं तो उसके बहाव को शरीर पर थोड़ी देर बाहर आकर भी महसूस करते हैं।
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM
Topical term or geographic name entry element Fiction
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA)
Koha item type Books
Holdings
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