Hindi dalit atmakathaye : (Record no. 346079)
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020 ## - INTERNATIONAL STANDARD BOOK NUMBER | |
International Standard Book Number | 9789383931958 |
082 ## - DEWEY DECIMAL CLASSIFICATION NUMBER | |
Classification number | H 891.4309 HIN |
Item number | v.1 |
100 ## - MAIN ENTRY--PERSONAL NAME | |
Personal name | Ramchandra (ed.) |
245 ## - TITLE STATEMENT | |
Title | Hindi dalit atmakathaye : |
Remainder of title | svanubhuti evam sarjana ka pariprekshya |
260 ## - PUBLICATION, DISTRIBUTION, ETC. | |
Place of publication, distribution, etc. | Delhi |
Name of publisher, distributor, etc. | Academic Publication |
Date of publication, distribution, etc. | 2019 |
300 ## - PHYSICAL DESCRIPTION | |
Extent | 2V(321p.; 280p.) |
520 ## - SUMMARY, ETC. | |
Summary, etc. | दलित आत्मभिव्यक्तियां अनुभवजन्य ज्ञान का भंडार है। दलित स्वानुभूतियों के माध्यम से उद्घटित होता ज्ञान पीड़ा और आक्रोश के रचनात्मक स्वर के साथ प्रस्तुत हुआ है। वह ज्ञान चाहे प्रसव कराने से संबंधित चिकित्सकीय ज्ञान हो या लोकजीवन में व्याप्त कला एवं सौन्दर्य का ज्ञान हो- यह सब कुछ दलितों के यातनामयी इतिहास के साथ नई ज्ञानमीमांसा की पृष्ठभूमि तैयार करता है। दलित स्वानुभूतियों में अभिव्यक्त पारिवारिक ढांचा और सामाजिक संरचना की नई तस्वीर उभरती है जो समाजशास्त्र और इतिहास में भी अव्यक्त अवर्णित रही है। अलोकतांत्रिक हिंदू सामाजिक संरचना के बीच जूझते दलित-बहुजनों ने अपनी लेखनी के माध्यम से लोकतांत्रिक और न्यायपरक व्यवस्था के परिप्रेक्ष्य एवं लक्ष्य को प्रस्तुत किया है। हिंसा और घृणा आधारित हिंदू संस्कृति के सामानान्तर अहिंसा, करुणा, मैंत्री और प्रेम आधारित व्यवस्था की आकांक्षा दलित स्वानुभूतियों का मुख्य स्वर है।<br/><br/>वर्ण-जाति आधारित हिंदू व्यवस्था की निर्ममता एवं क्रूरता का प्रामाणिक अंकन करते हुए दलित स्वानुभूतियां चेतना का प्रस्फुरण करती हैं। यही चेतना अम्बेडकरवादी चेतना है। इसके माध्यम से आत्मकथाएं हिंदू वर्चस्व के आतंक एवं अन्याय से मुक्ति का रास्ता प्रशस्त कर रही हैं। यह ऐतिहासिक रूप से बैठा दी गई हीनताग्रंथि को भी तोड़ रही हैं। शिक्षण - तंत्र की नग्नताऔर 'आदर्श शिक्षक के चेहरों को भी बेनकाब कर रही हैं। जन्म से मृत्यु तक के अपमानबोध, भुखमरी और असीम पीड़ा के कारणों की शिनाख्त करते हुए ये आत्मकथाएं वैकल्पिक सामाजिक-सांस्कृतिक इतिहास का सृजन कर रहीं हैं। भाषा, साहित्य एवं सौन्दर्य के मानदंडों को बदलने के लिए भी ये आत्माभिव्यक्तियां प्रेरित कर रही हैं। अंततः ये स्वानुभूतियां पीड़ा की कलात्मक अभिव्यक्तियां हैं जिनका वर्णन किसी भी साहित्य में नहीं मिलता। पीड़ाजनित वेदना के मध्य अदम्य जिजीविषा और संघर्ष ही इनका सौंदर्यबोध है।<br/><br/>मनुष्य और उसके द्वारा निर्मित समाज तथा राष्ट्र के संबंधों को समझने में जहां साहित्य की भूमिका अहम होती है वहीं इस भूमिका में आत्मकथाओं का योगदान सबसे गंभीर और गूढ़ होता है। अन्य विधाओं में समझने की यह बात पात्रों के विचारों एवं उसके संबंधों के माध्यम से होती है वहीं आत्मकथाओं में यह काम स्वयं के संघर्षों की अनुभूति से उत्पन्न ज्ञान होता है। एक लेखक रचनात्मक जीवन संघर्ष के माध्यम से समाज एवं राष्ट्र के बीच अपने आप को जिस रूप में पाता है, उसी को वह व्यक्त करता है इन जटिल संबंधों की पड़ताल करने में आत्मकथाओं में अभिव्यक्त संघर्ष और सामाजिक-सांस्कृतिक संबंधों का तानाबाना न केवल एक दस्तावेज़ की तरह होता है बल्कि उसमें समाज और राष्ट्र के विकास की एक दृष्टि भी होती है।<br/><br/>दलित आत्मकथाएं न केवल एक व्यक्ति की बल्कि पूरे दलित समाज की चिंता, चिंतन और संघर्षों के अन्वेषण की दस्तावेज हैं, जो समाज अस्तित्व में तो था लेकिन ब्राह्मणवादी व्यवस्था और उसके द्वारा निर्मित इतिहास में खो गया या ब्राह्मणवादियों के द्वारा उसे खत्म कर दिया गया था। पीड़ाजनित उन्वेषण की यह प्रक्रिया सिर्फ व्यक्तिगत नहीं है बल्कि वह आत्मकथाकार का समाज और राष्ट्र की व्यवस्थाओं के बीच जीवन संघर्षो के साथ-साथ उसके सामाजिक संबंधों का भी प्रतिफलन है। दलित आत्मकथाएं इन्हीं संघर्षों और संबंधों की गाथा है। दलित आत्मकथाएं समाज और राष्ट्र की विकास गाथा को ऊपर से नहीं नीचे से देखने की समाजशास्त्रीय दृष्टि पैदा करती हैं और वैज्ञानिक दृष्टि से एक समृद्ध तथा विकसित राष्ट्र की ओर बढ़ने के लिए वैकल्पिक दृष्टि का निर्माण करती हैं। यह वैकल्पिक दृष्टि फुले- अम्बेडकरवादी सामाजिक चिंतन एवं दर्शन पर आधारित है। |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name entry element | Dalits in literature |
650 ## - SUBJECT ADDED ENTRY--TOPICAL TERM | |
Topical term or geographic name entry element | Authors, Hindi--Biography |
700 ## - ADDED ENTRY--PERSONAL NAME | |
Personal name | Kumar, Praveen (ed.) |
942 ## - ADDED ENTRY ELEMENTS (KOHA) | |
Koha item type | Books |
Withdrawn status | Lost status | Damaged status | Not for loan | Home library | Current library | Date acquired | Total checkouts | Full call number | Barcode | Date last seen | Price effective from | Koha item type |
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Not Missing | Not Damaged | Gandhi Smriti Library | Gandhi Smriti Library | 2022-02-06 | H 891.4309 HIN v.1 | 168013 | 2022-02-06 | 2022-02-06 | Books | |||
Not Missing | Not Damaged | Gandhi Smriti Library | Gandhi Smriti Library | 2022-02-06 | H 891.4309 HIN v.2 | 168014 | 2022-02-06 | Books |