Bachoo ka jeevan:ek school ki kahani / tr. by Purva yagik Kushvaha
Danison,George
Bachoo ka jeevan:ek school ki kahani / tr. by Purva yagik Kushvaha v.1997 - Delhi Grantha Shilpi 1997 - 221p.
शिक्षा पर यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। इसमें लेखक ने अपने अध्यापक जीवन के दौरान किए गए प्रयोगों के अनुभवों को अत्यंत रोचक और सहज शैली में दर्ज किया है। विश्व के अनेक देशों में परंपरागत शिक्षाशास्त्र से अलग हट कर प्रयोग किए जाते रहे हैं, यह प्रयोग भी उसी श्रेणी में रखा गया है। इसने हमारी शिक्षा पद्धति में कोई क्रांतिकारी परिवर्तन तो नहीं किया है, लेकिन वैकल्पिक शिक्षाप्रणाली पर विचार करने के लिए असंख्य शिक्षाकर्मियों को इसने प्रेरित अवश्य किया है
यह पुस्तक शिक्षा मनोविज्ञान की उन स्थापनाओं को व्यावहारिक धरातल पर देखने परखने का मार्ग सुझाती है जिन पर शिक्षा की अधिकांश पुस्तकें अमूर्त तथा अव्यावहारिक समाधान पेश करती है । लेखक ने यहां 23 बच्चों वाले एक निजी स्कूल में किए गए प्रयोगों तथा उनसे प्राप्त अनुभवों के माध्यम से अपनी बात पेश की है। इस पुस्तक को पढ़ने के बाद शिक्षा के विषय में हम और ज्यादा शिक्षित होते हैं।
स्वतंत्र और मानवीय शिक्षा क्या हो सकती है, इस पुस्तक को पढ़कर ही समझा जा सकता है। शिक्षा में स्वतंत्रता मानवीयता के दर्शन का मुखर दस्तावेज है। पुस्तक जितनी दार्शनिक है, उतनी ही कलात्मक भी, कलात्मक इस अर्थ में कि शिक्षण को कलात्मकता के स्तर पर उतारने की कला इससे सीखी जा सकती है।
8186684514
H 370 DAN
Bachoo ka jeevan:ek school ki kahani / tr. by Purva yagik Kushvaha v.1997 - Delhi Grantha Shilpi 1997 - 221p.
शिक्षा पर यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। इसमें लेखक ने अपने अध्यापक जीवन के दौरान किए गए प्रयोगों के अनुभवों को अत्यंत रोचक और सहज शैली में दर्ज किया है। विश्व के अनेक देशों में परंपरागत शिक्षाशास्त्र से अलग हट कर प्रयोग किए जाते रहे हैं, यह प्रयोग भी उसी श्रेणी में रखा गया है। इसने हमारी शिक्षा पद्धति में कोई क्रांतिकारी परिवर्तन तो नहीं किया है, लेकिन वैकल्पिक शिक्षाप्रणाली पर विचार करने के लिए असंख्य शिक्षाकर्मियों को इसने प्रेरित अवश्य किया है
यह पुस्तक शिक्षा मनोविज्ञान की उन स्थापनाओं को व्यावहारिक धरातल पर देखने परखने का मार्ग सुझाती है जिन पर शिक्षा की अधिकांश पुस्तकें अमूर्त तथा अव्यावहारिक समाधान पेश करती है । लेखक ने यहां 23 बच्चों वाले एक निजी स्कूल में किए गए प्रयोगों तथा उनसे प्राप्त अनुभवों के माध्यम से अपनी बात पेश की है। इस पुस्तक को पढ़ने के बाद शिक्षा के विषय में हम और ज्यादा शिक्षित होते हैं।
स्वतंत्र और मानवीय शिक्षा क्या हो सकती है, इस पुस्तक को पढ़कर ही समझा जा सकता है। शिक्षा में स्वतंत्रता मानवीयता के दर्शन का मुखर दस्तावेज है। पुस्तक जितनी दार्शनिक है, उतनी ही कलात्मक भी, कलात्मक इस अर्थ में कि शिक्षण को कलात्मकता के स्तर पर उतारने की कला इससे सीखी जा सकती है।
8186684514
H 370 DAN