Shari pariprekshya mein mahila police ki bhoomika
Vishnoi ,Omraj Singh
Shari pariprekshya mein mahila police ki bhoomika v.1999 - Delhi Samskriti 1999 - 229p.
आज भी विश्वभर में पुलिस में भर्ती के लिए महिलाओं को कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। भारत जैसे देश में तो पुलिस में महिलाओं को लाना और भी कठिन प्रतीत हो रहा था क्योंकि यहां महिलाओं का स्थान घर के भीतर तक सीमित माना जाता था। लेकिन पिछले कुछ दशक भारतीय महिलाओं के लिए वरदान सिद्ध हुए हैं। इन वर्षों में भारत में महिलाओं की स्थिति बडी सुदृढ हुई है। जीवन के हर क्षेत्र में आज यहां की महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधे जुटाए आगे बढ़ रही हैं। पुलिस में महिलाओं की मौजूदगी अब अजूबा नहीं लगती।
अपनी ऐतिहासिक भूमिका के बावजूद पुलिस या भारतीय पुलिस पर हिन्दी में प्रचुर साहित्य नहीं लिखा गया। महिला पुलिस पर तो शायद कोई भी किताब नहीं छपी है। संभवतः प्रस्तुत पुस्तक इस दिशा में पहली है और यह केवल संयोग नहीं है कि यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है जिसे विद्वान लेखक ने अत्यंत परिश्रम से तैयार किया है। वर्षों की साधना के फलस्वरूप यह शोधग्रंथ प्रकाश पा रहा है।
यह ग्रंथ नौ अध्ययायो में महिला पुलिस से सम्बद्ध जानकारियों को प्रस्तुत कर रहा है। पुस्तक के दो भाग हैं। पहले भाग में सैद्धांतिक एवं संकल्पनात्मक जानकारी दी गई है तथा दूसरे में अनुभवों एवं सर्वेक्षणों से प्राप्त ज्ञान को समेटा गया है।
पुस्तक के पहले अध्याय में पुलिस का इतिहास. पुलिस में महिलाओं का प्रवेश, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं की पुलिस में भर्ती, उनका कार्य, उनकी उपयोगिता तथा उनकी भावी भूमिका का विश्लेषण किया गया है। इस ज्ञान की पृष्ठभूमि में आगे के अध्याय लिखे गए है। जिनमें पुलिस थानों अपराध संबधी महिलाकोष्ठो महिला पुलिस और सामाजिक परिवर्तन आदि संबद्ध विषयों पर प्रकाश डाला गया है।
8187374012
H 363.2 VIS
Shari pariprekshya mein mahila police ki bhoomika v.1999 - Delhi Samskriti 1999 - 229p.
आज भी विश्वभर में पुलिस में भर्ती के लिए महिलाओं को कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। भारत जैसे देश में तो पुलिस में महिलाओं को लाना और भी कठिन प्रतीत हो रहा था क्योंकि यहां महिलाओं का स्थान घर के भीतर तक सीमित माना जाता था। लेकिन पिछले कुछ दशक भारतीय महिलाओं के लिए वरदान सिद्ध हुए हैं। इन वर्षों में भारत में महिलाओं की स्थिति बडी सुदृढ हुई है। जीवन के हर क्षेत्र में आज यहां की महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधे जुटाए आगे बढ़ रही हैं। पुलिस में महिलाओं की मौजूदगी अब अजूबा नहीं लगती।
अपनी ऐतिहासिक भूमिका के बावजूद पुलिस या भारतीय पुलिस पर हिन्दी में प्रचुर साहित्य नहीं लिखा गया। महिला पुलिस पर तो शायद कोई भी किताब नहीं छपी है। संभवतः प्रस्तुत पुस्तक इस दिशा में पहली है और यह केवल संयोग नहीं है कि यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है जिसे विद्वान लेखक ने अत्यंत परिश्रम से तैयार किया है। वर्षों की साधना के फलस्वरूप यह शोधग्रंथ प्रकाश पा रहा है।
यह ग्रंथ नौ अध्ययायो में महिला पुलिस से सम्बद्ध जानकारियों को प्रस्तुत कर रहा है। पुस्तक के दो भाग हैं। पहले भाग में सैद्धांतिक एवं संकल्पनात्मक जानकारी दी गई है तथा दूसरे में अनुभवों एवं सर्वेक्षणों से प्राप्त ज्ञान को समेटा गया है।
पुस्तक के पहले अध्याय में पुलिस का इतिहास. पुलिस में महिलाओं का प्रवेश, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं की पुलिस में भर्ती, उनका कार्य, उनकी उपयोगिता तथा उनकी भावी भूमिका का विश्लेषण किया गया है। इस ज्ञान की पृष्ठभूमि में आगे के अध्याय लिखे गए है। जिनमें पुलिस थानों अपराध संबधी महिलाकोष्ठो महिला पुलिस और सामाजिक परिवर्तन आदि संबद्ध विषयों पर प्रकाश डाला गया है।
8187374012
H 363.2 VIS