Smritiyon ke swar:vikhyat udhyogpati Dr.Charat Ram ke jeevan aur karyon ka lekha-jokha
Ram,Suchitra Charat
Smritiyon ke swar:vikhyat udhyogpati Dr.Charat Ram ke jeevan aur karyon ka lekha-jokha - New Delhi Radha Krishana 1995 - 211 p
डॉ. चरत राम के जीवन पर उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सुमित्रा चरत राम द्वारा लिखी गई संस्मरणात्मक पुस्तक 'स्मृतियों के स्वर' अपने पति के प्रति भावांजलि ही नहीं है बल्कि स्वतंत्रता के पूर्व और उसके बाद की संस्कृति, राजनीतिक सामाजिक चेतना और औद्योगिक विकास का लेखा-जोखा भी है। इसमें दिल्ली की संस्कृति, परम्परा और जीवन मूल्यों पर भी महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। आभिजात्य वर्ग विशेषकर भारत के मूर्धन्य औद्योगिक घरानों के रहन-सहन, भव्यता, सादगी आदि भी इस पुस्तक की आकर्षक विषय-वस्तु हैं।
जाने-माने उद्योगपति डॉ. चरत राम ने भारत के उद्योग जगत को कई स्तरों पर समृद्ध किया तथा आधुनिक तकनीक, लम्बे अनुभवों और दूरदृष्टि से उसे गतिशील बनाए रखा। उद्योग और व्यापार में उनकी दक्षता का प्रमाण डीसीएम तथा श्रीराम समूह के अभियांत्रिकी, रासायनिक, कपड़ा, कृषि (चीनी) के कारखाने आदि हैं। डॉ. चरत राम ने विभिन्न प्रकार के उद्योगों में अपनी प्रामाणिकता अंकित की और प्रत्येक में सफलता पायी। आज देश के बीस बड़े औद्योगिक घरानों की सूची में उनका नाम है।
स्वतंत्रता से पहले डॉ. चरत राम के पिता विख्यात् उद्योगपति लाला श्रीराम ने विभिन्न उद्योगों की सशक्त नींव रखी। अनवरत प्रयास और अथक परिश्रम के बल पर डॉ. चरत राम ने अपने पिता द्वारा रखी गई नींव पर लाभप्रद उद्योगों की एक विशाल श्रृंखला का निर्माण किया।
'स्मृतियों के स्वर' आम पाठकों के लिए एक रोचक पुस्तक होने के साथ-साथ इतिहास, संस्कृति, उद्योग और प्रबंधन के शोध छात्रों के लिए भी एक संदर्भ ग्रंथ होगा।
Sumitra Charatram
H 338.40924 RAM
Smritiyon ke swar:vikhyat udhyogpati Dr.Charat Ram ke jeevan aur karyon ka lekha-jokha - New Delhi Radha Krishana 1995 - 211 p
डॉ. चरत राम के जीवन पर उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सुमित्रा चरत राम द्वारा लिखी गई संस्मरणात्मक पुस्तक 'स्मृतियों के स्वर' अपने पति के प्रति भावांजलि ही नहीं है बल्कि स्वतंत्रता के पूर्व और उसके बाद की संस्कृति, राजनीतिक सामाजिक चेतना और औद्योगिक विकास का लेखा-जोखा भी है। इसमें दिल्ली की संस्कृति, परम्परा और जीवन मूल्यों पर भी महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। आभिजात्य वर्ग विशेषकर भारत के मूर्धन्य औद्योगिक घरानों के रहन-सहन, भव्यता, सादगी आदि भी इस पुस्तक की आकर्षक विषय-वस्तु हैं।
जाने-माने उद्योगपति डॉ. चरत राम ने भारत के उद्योग जगत को कई स्तरों पर समृद्ध किया तथा आधुनिक तकनीक, लम्बे अनुभवों और दूरदृष्टि से उसे गतिशील बनाए रखा। उद्योग और व्यापार में उनकी दक्षता का प्रमाण डीसीएम तथा श्रीराम समूह के अभियांत्रिकी, रासायनिक, कपड़ा, कृषि (चीनी) के कारखाने आदि हैं। डॉ. चरत राम ने विभिन्न प्रकार के उद्योगों में अपनी प्रामाणिकता अंकित की और प्रत्येक में सफलता पायी। आज देश के बीस बड़े औद्योगिक घरानों की सूची में उनका नाम है।
स्वतंत्रता से पहले डॉ. चरत राम के पिता विख्यात् उद्योगपति लाला श्रीराम ने विभिन्न उद्योगों की सशक्त नींव रखी। अनवरत प्रयास और अथक परिश्रम के बल पर डॉ. चरत राम ने अपने पिता द्वारा रखी गई नींव पर लाभप्रद उद्योगों की एक विशाल श्रृंखला का निर्माण किया।
'स्मृतियों के स्वर' आम पाठकों के लिए एक रोचक पुस्तक होने के साथ-साथ इतिहास, संस्कृति, उद्योग और प्रबंधन के शोध छात्रों के लिए भी एक संदर्भ ग्रंथ होगा।
Sumitra Charatram
H 338.40924 RAM