Bik nahin sakti qalam

Rahi, Balswaroop

Bik nahin sakti qalam - New Delhi Little Bird 2024 - 128p.

वरिष्ठ साहित्यकार बालस्वरूप राही ने कविता के साथ-साथ साहित्य की अनेक विधाओं में लेखन कार्य किया है। ‘बिक नहीं सकती कलम’ में संगृहीत इनकी गजलें आत्मा के उत्स से निकली स्फूर्त झरने जैसी हैं जो पाठक के मन पर गिरती हैं। मद्धिम गति और पूरी पारदर्शिता से। जहाँ कुछ भी छिपाया या रोका न गया हो। जहाँ राही जी सौंदर्य का संधान करने वाले कवि हैं वहीं उनका रचना संसार हमें उपेक्षा के उन कोने-अँतरों से परिचित कराता है जहाँ हमारी निगाह तक नहीं जाती। अपने एक शेर में वे कहते हैं.
‘रात-भर सुलगा रहा तन्दूर, ये अच्छा हुआ
शाम से बैठे थे कुछ मजदूर, ये अच्छा हुआ’

9789363067325


Literature-Hindi
Gazal-Hindi
Shayari-Hindi

H 891.4301 RAH

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