Ankahi: kahani-sangrah

Singh, Gita

Ankahi: kahani-sangrah - New Delhi Prabhat Prakashan 2025 - 125

कथा-संग्रह 'अनकही' के कथानक वस्तुतः हमारे आसपास बिखरी जिंदगी में अनिर्णय की स्थिति से गुजरते व्यक्तियों के जीवन की घटनाएँ हैं। परिवार-समाज, बाजार, कार्यस्थली-कहीं भी वह आम व्यक्ति विषम परिस्थितियों से गुजरता है तो उनके प्रतिकार की राह उसे नहीं सूझती और न ही वह खुले गले से जोर देकर यह कह ही पाता है कि कुछ गलत हो रहा है। प्रभुता का अधिकार-भाव जिन्हें हासिल है, वे या तो उसकी अनदेखी करते हैं अथवा छल-बल-कल से उसकी अभिव्यक्ति को नियंत्रित कर लेते हैं। फिर जो अव्यक्त-अनकहा रह जाता है, उसी को स्वर देने की चेष्टा का प्रतिफल ये कहानियाँ हैं, जो यह भी रेखांकित करती हैं कि किसी उलझन की लंबे समय तक अनदेखी करने से उसका सिरा खो जाता है। कोई आवाज समय पर न उठे तो समय चूककर उसका असर भी खो जाता है। उसी खोए हुए स्वर की कथा है 'अनकही'।

9789355629470


Hindi Fiction
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